छन्द के छ सत्र - १८ - २० समापन समारोह के बेरा मा "अंतस के गोठ " ❤️🌹🙏(०६/०२/२०२५)
छन्द के छ के सृजनकर्ता अउ मार्गदर्शक -
परम् श्रद्धेय गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी ,
हमर सत्र के गुरुदेव जन -
आदरणीय गुरुदेव श्री विजेन्द्र कुमार वर्मा जी (हमर सत्र के गुरुदेव) ,
आदरणीय गुरुदेव श्री मनोज कुमार वर्मा जी (हमर सत्र के गुरुदेव) ,
आदरणीया गुरु दीदी श्रीमती आशा देशमुख जी ,
आदरणीय गुरुदेव श्री जीतेन्द्र वर्मा ' खैरझिटिया ' जी (संचालक ) ,
आदरणीय गुरुदेव श्री ईश्वर साहू 'आरुग' जी ,
आदरणीय गुरुदेव श्री दिलीप कुमार वर्मा जी ,
आदरणीय गुरुदेव श्री नरेन्द्र कुमार गजेन्द्र जी ,
सहपाठी छन्द साधक - साधिका गण -
आदरणीय श्री प्यारेलाल साहू जी ,
आदरणीय भाई श्री तुषार शर्मा ' नादान ' जी ,
आदरणीय श्री मोहन लाल साहू जी,
आदरणीया अनीता चन्द्राकर जी
ऑनलाइन समापन समारोह मा जुड़ के अपन आशीर्वाद अउ दया - मया ला बरसइया वरिष्ठ गुरुदेव जन -
आदरणीय श्री बलराम चन्द्राकर जी ,
आदरणीय श्री बोधन राम ' निषादराज ' जी,
आदरणीय श्री अश्वनी कोसरे 'रहॅंगिया ' जी,
आदरणीय इंजी. श्री गजानंद पात्रे 'सत्यबोध' जी,
आदरणीय श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर जी,
अउ जुड़इया जम्मों आदरणीय गुरुदेव जन, गुरु दीदी जन , छन्द साधक - साधिका जन आप सबके नाॅंव नइ लिख पावत हॅंव क्षमा करहू
अउ मोला " छन्द के छ " परिवार मा जुड़े बर गुरुदेव जी के नंबर देवइया मोर काॅलेज समय के परम् मित्र आदरणीय भाई दिलीप पटेल जी...
आप जम्मों झन ला मोर ओम प्रकाश पात्रे 'ओम ' के डहर ले सादर प्रणाम ! नमन ! वंदन ! जय जोहार ! 🌹🙏🙏🙏🙏🙏🌹
अरुण निगम गुरुदेव के , चरन कमल के दास ।
वंदन सब झन ला करॅंव , मॅंय हा ओम प्रकाश ।।
मॅंय हा ओम प्रकाश , छन्द साधक अट्ठारा ।
गुरु मन के आशीष , पाय हॅंव बड़ उपकारा ।।
कतको साधक चाॅंद , सितारा बनके चमके ।
अइसे पावन मंच , आय ये अरुण निगम के ।।
सत्र - १८ के शुरुआत -
हमर " छन्द छ सत्र - 18" के शुरुआत दिनाॅंक - १०/०१/२०२२ , दिन - इतवार के परिचय अउ दिनाॅंक - ११/०१/२०२२ , दिन - सोमवार के " यहू ला गुनव " नामक पाठ ले होय रिहिस हे , जेन हा लगभग ३ बछर तक चलिस । ये बीच मा हमन मात्रिक छन्द के लगभग २५ प्रकार जइसे - दोहा , रोला , सोरठा , उल्लाला , कुण्डलिया , आल्हा , सार , सरसी , कुकुभ , ताटंक , लावणी इत्यादि अउ वर्णिक छन्द के अन्तर्गत सवैया के २० प्रकार जइसे - दुर्मिल , सुन्दरी , अरविन्द , सुमुखी , महाभुजंग , मत्तगयंद , किरीट इत्यादि एकर संगे - संग घनाक्षरी/ कवित्त के प्रमुख ३ प्रकार मनहरण , रूप , जलहरण घनाक्षरी ये सब ला कुल मिलाके लगभग ४८ ठन छन्द के विधि - विधान , नियम - कायदा , मात्रा भार , यति - गति , तुक , डाॅंड़ ( पद ) , चरण , गण व्यवस्था अउ वर्ण व्यवस्था इत्यादि ला गुरुदेव मन के मार्गदर्शन अउ सानिध्य मा सीखे के सौभाग्य प्राप्त होइस । ये दुनिया मा पूरा तो कोनों नइ सीख सकय , कुछु न कुछु कमी जरूर रइथे बार - बार अभ्यास ले एमा सुधार करे जा सकथे ।
पहिली पढ़त रेहेन तेन समय के दोहा सुरता आत हे कि -
करत - करत अभ्यास ले , जड़मति होत सुजान ।
रसरी आवत जात ते , सिल पर होत निशान ।।
ये ३ बछर मा हमर सत्र -१८ के गुरुदेव आदरणीय श्री मनोज कुमार वर्मा जी अउ आदरणीय श्री विजेन्द्र कुमार वर्मा जी के आशीर्वाद अउ मार्गदर्शन विशेष रूप ले मिलिस। आदरणीया गुरु दीदी आशा देशमुख जी घलो बेरा - बेरा मा हमर ऊपर मया - दुलार ला बरसावत रिहिन । हमर सत्र - १८ मा जुड़े अउ गुरुदेव मन घलो फोन लगाके हाल-चाल पूछत रिहिन अउ सतत भावपूर्ण रचना करे बर प्रेरित करत रिहिन । हमर गुरुदेव मन हमेशा निःस्वार्थ भाव ले धैर्यपूर्वक अपन कीमती समय ला निकाल के हमन ला बेरा - कुबेरा ले बड़ सुग्घर ढंग ले सिखाइन , हमर रचना ला समीक्षा करके पोठ करिन , विषय के भटकाव ला दूर करिन । हमन ला लिखे बर विषय - स्वतंत्र विषय दिन पर्याप्त समय घलो दिन ।
कभू -कभू बीच-बीच मा घर परिवार या रिश्तेदार मा जरूरी काम- काज के कारण अभ्यास मा कमी घलो आवत रिहिस तभो गुरुदेव मन चला लेवत रिहिन ।
कई बार गुरुदेव मन अपन पर्सनल वाट्स एप्प मा घलो मोर रचना के समीक्षा करे हें , जेमा के कुछ रचना मन प्रकाशित घलो हो चुके हे । मॅंय ओ गुरुदेव मन के सदा आभारी रइहूॅं ।
१० जनवरी २०२२ के पहिली -
१०जनवरी २०२२ के पहिली लगभग एक बछर तक आदरणीय गुरुदेव श्री दिलीप कुमार खोटे ' माटी के शहजादा ' के सानिध्य मा कुछ - कुछ छन्द ला ऑनलाइन सीखे ला मिले रिहिस हे ।
ओकर पहिली के रचना अउ आज के रचना मा बहुत अंतर देखे बर मिलथे । काबर कि पहिली के रचना मन छन्द मुक्त रिहिस ते पाय के लय , यति , गति मा भटकाव आ जात रिहिस अउ अभी के रचना हा छन्द बद्ध होय ले लिखे पढ़े अउ सुने मा सरल सहज अउ गुरतुर लगथे , कहे जाय कि रचना मा चार चाॅंद लग जाथे ।
ऑनलाइन छन्द के छ कवि सम्मेलन ग्रुप -
छन्दमय रचना के पाठ करे अउ अपन झिझक ला दूर करे बर "ऑनलाइन छन्द के छ - कवि सम्मेलन " ग्रुप घलो हवय , जेमा प्रति सप्ताह शनिवार अउ रविवार के दू दिन जम्मों छन्द साधक - साधिका मन अपन प्रस्तुति देथें अउ सीखथें - सिखाथें । हमर छन्द छ परिवार के खुला मंच घलो हे , जेमा हमन अपन सुख दुःख ला साझा करथन अउ एक दूसर के मया - दुलार ला पाथन ।
स्थापना दिवस अउ दीवाली मिलन समारोह -
बछर मा एक बार " छन्द के छ " स्थापना दिवस अउ एक बार दीवाली मिलन समारोह घलो आयोजित होथे , जेमा जम्मों "छन्द के छ परिवार" जुरियाथें अउ एक दूसर ले मेल - मिलाप करथें , जानथें , पहिचानथें । अइसन पावन बेला मा कतको छन्द साधक - साधिका मन अपन पुस्तक के विमोचन घलो करवाथें अउ सब झन के आशीर्वाद मया - दुलार पाथें ।
छन्द के छ पावन मंच -
"छन्द के छ" हा सीखे अउ सिखाये के अइसे पावन मंच आय जेमा छन्द साधक - साधिका मन आत्मीय भाव ले जुड़े रहिके अपन "अंतस के गोठ " ला पोठ करथें अउ एक कालजयी रचना के निर्माण करथें ।
सत्र समापन -
हमर छन्द छ के सत्र - १८ के समापन भले होवत हे फेर हमर सीखे - सिखाये के प्रक्रिया हा सतत चलते रइही नइ रूकय परम् पिता परमेश्वर ले इही प्रार्थना हे ।
मॅंय हमर "छन्द छ परिवार" के सियान, सृजनकर्ता परम् श्रद्धेय आदरणीय गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी ला बारम्बार प्रणाम करत हॅंव जेन हा मोला कुछु लिखे के काबिल बनाइस हे । हमर श्रद्धेय गुरुदेव जी हा स्वर्गीय श्री कोदूराम दलित जी अउ स्वर्गीय लक्ष्मण मस्तुरिया जी के सपना ला घलो आज पूरा करत हे ।ऑनलाइन कक्षा के माध्यम ले निःस्वार्थ भाव ले हमर जइसे कतको अज्ञानी, अबोध अउ नादान मनखे मन ला छन्दरूपी ज्ञान ले सराबोर करत हे। छत्तीसगढ़ी साहित्य के इतिहास मा एक नवा युग के आगाज करत हे । " गुरु शिष्य परम्परा " हा जम्मों छन्द परिवार ला एक अइसे माला मा पिरो के रखे हे , जेन हा कभू टूटय नहीं अउ ये "छन्द के छ " मंच अइसे बगिया ये जिहाॅं ले छोटे - छोटे कली मन फूल बनके अपन महक (खुशबू ) ला पूरा दुनिया मा बिखेरत हें । आसमान के चाॅंद - सितारा बनके चमकत हें । महूॅं हा अइसन परिवार के एक सदस्य बनेंव , बड़ सौभाग्य के बात हे । मॅंय सदा ही आप जम्मों गुरुदेव मन के कृतज्ञ अउ आभारी रइहूॅं । विगत ३ बछर मा अगर मोर ले या मोर रचना ले कखरो अंतस ला ठेंस पहुॅंचे होही ता मोला एक अबोध बालक समझ के क्षमा प्रदान करहू । अपन आशीर्वाद अउ मया - दुलार ला मोर ऊपर सतत्
बरसावत रइहू , इही आशा अउ विश्वास हे...
पा के मया दुलार ला , गदगद हे मन मोर ।
वंदन अउ आभार ला , देवत हॅंव करजोर ।।
परम् श्रद्धेय गुरुदेव जी के संगे - संग आप जम्मों झन ला सादर प्रणाम ! नमन ! वंदन ! जय जोहार ! जय छन्द के छ !💐🌹🌺🌷🎄🌴🌈💓❤️📘🖊️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आप मन के
✍️ओम प्रकाश पात्रे 'ओम '🙏
छन्द साधक सत्र - १८






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