Monday 5 December 2022

दीवाली मिलन समारोह अउ- साधक मन के विचार

 






















दीवाली मिलन समारोह अउ- साधक मन के विचार

 ओम प्रकाश अंकुर: रिपोर्ताज 

छंद के छ का दीपावली मिलन समारोह संपन्न
पुस्तक विमोचन और राज्य स्तरीय छंदबद्ध कवि सम्मेलन हुआ 

छंद के छ के माध्यम से छत्तीसगढ़ी साहित्य समृद्ध हो रही है - चितरंजन कर
   29 नवंबर रविवार को बैस कूर्मि भवन रायपुर में छंद के छ परिवार का दीपावली मिलन समारोहऔर राज्य स्तरीय छंदबद्ध कवि सम्मेलन आयोजित किया गया. संस्था के संस्थापक अरुण कुमार निगम के मार्गदर्शन और वरिष्ठ छंदकार बलराम चंद्राकर, विजेन्द्र वर्मा के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में 22  जिला के 110  छंदकारों की उपस्थिति रही. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात भाषाविद् डॉ.चितरंजन कर थे एवं अध्यक्षता अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के प्रदेश संयोजक कमल वर्मा ने की.विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ सुधीर शर्मा विभागाध्यक्ष, हिंदी कल्याण महाविद्यालय भिलाई, विजय मिश्रा अमित प्रसिद्ध रंगकर्मी,पूरन सिंह बैस केन्द्रीय अध्यक्ष,बैस कूर्मि समाज, रामेश्वर शर्मा वरिष्ठ साहित्यकार रायपुर,राम नाथ साहू‌ उपन्यासकार, वरिष्ठ छंदकार सूर्यकांत गुप्ता की उपस्थिति रही. 
    सभा को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि चितरंजन कर ने कहा कि छंद के छ परिवार के माध्यम से शास्त्रीय कविता की ओर कवियों का बहुत रूझान बढ़ा है. कविता जनमानस में बहुत लोकप्रिय होती है और छंदबद्ध रचना हो जाए तो सोने पे सोहागा हो जाता है. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कमल वर्मा ने कहा कि जिस प्रकार से छंद के छ परिवार के माध्यम से छत्तीसगढ़ के रचनाकार छंदबद्ध कविता की ओर उन्मुख हुए हैं उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है. 
डा. सुधीर शर्मा ने‌ अपने उद्बोधन में कहा कि अरूण निगम ने छंद के छ परिवार के माध्यम से एक आंदोलन खड़ा कर दिया है. इस संस्था के माध्यम से जहां दो सौ से अधिक साहित्यकार छंदबद्ध रचना कर रहे वहीं इसके माध्यम से छत्तीसगढ़ भाषा समृद्ध हो रही है.  विजय मिश्रा अमित ने कहा कि अरुण निगम जी का प्रयास स्तुत्य है. जिस तरह से छत्तीसगढ़ के कलमकारों को नि: स्वार्थ भाव से छंद ज्ञान दे रहे हैं वह एक मिसाल है.

सभा को पूरन सिंह बैस, रामेश्वर शर्मा,राम नाथ साहू, सूर्यकांत गुप्ता ने भी संबोधित किया. इससे पहले स्वागत भाषण देते हुए छंद के छ के संस्थापक अरुण कुमार निगम ने संस्था के गठन के उद्देश्य एवं छ: साल की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. अतिथियों का स्वागत अरुण कुमार निगम ,बलराम चंद्राकर ,विजेंद्र वर्मा , चोवा राम वर्मा बादल,जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया,  अजय साहू अमृतांशु,ज्ञानु मानिकपुरी, अश्वनी कोसरे, पोखन लाल जायसवाल, संगीता वर्मा ,आशा देशमुख, मनीराम साहू मितान, शोभा मोहन श्रीवास्तव,जगदीश साहू हीरा, ईश्वर साहू आरुग, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर,  नारायण चंद्राकर,ईश्वर साहू आरुग,नीता अग्रवाल ,महेंद्र कुमार बघेल मधु, राम कुमार चंद्रवंशी,मथुरा प्रसाद वर्मा, ओम प्रकाश साहू अंकुर ने किया. अतिथियों को शाल, श्रीफल स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया. 

    छंदबद्ध पुस्तक का विमोचन हुआ

इस अवसर पर  अतिथियों ने संस्था से जुड़े हुए छंदकारों की छंदबद्ध पुस्तक का विमोचन किया जिसमें बोधन राम निषाद का छंद कटोरा, शुची भवि  की़ कृति छंद फुलवारी, द्वारका प्रसाद लहरे  का छ़द गीत बहार, जगदीश साहू हीरा की कृति मोर सुग्घर गंवई गांव सम्मिलित है. विमोचित पुस्तकों पर ज्ञानु मानिकपुरी, जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, अश्वनी कोसरे और मनीराम साहू मितान ने चर्चा की और कृतिकारों का परिचय भी दिया.

कविता पाठ का दौर चला

 द्वितीय सत्र में  22 जिला से आए सैकड़ों रचनाकारों ने विभिन्न छंदों में काव्य पाठ कर कविता की रसधार बहाई. छंदकारों को अतिथियों ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. प्रथम सत्र का संचालनअजय साहू अमृतांशु और कवि सम्मेलन का संचालन संयुक्त रूप से जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, बलराम चंद्राकर, ईश्वर साहू आरुग , गजराज दास महंत  मोहन निषाद, अश्वनी कोसरे ने किया.   धन्यवाद ज्ञापन संयोजक द्वय बलराम चंद्राकर और विजेन्द्र वर्मा ने किया.इस अवसर पर छंद के छ परिवार के सैकड़ों छद साधकों की गरिमामयी उपस्थिति रही.
अंकुर

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 अश्वनी कोसरे 9: *छंद के छ के दीवाली मिलन समारोह*
पुस्तक विमोचन अउ राज्य स्तरीय छंदबद्ध कवि सम्मेलन होइस सम्पन्न|
रविवार के दिन  27/11/2022 के बैस भवन राजधानी रायपुर मा छंद परिवार के भव्य आयोजन रहिस| कार्यक्रम के विधिवत सुरुआत छत्तीसगढ़ भाखा महतारी के तैल चित्र मा,सबो पहुना मन के द्वारा दीप प्रज्वलित करत,पूजा - अर्चना अउ वंदना ले छंद के छ परिवार के संस्थापक  गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी के मार्गदर्शन मा होइस| 

       वरिष्ठ छंदकार बलराम चंद्राकर, विजेन्द्र वर्मा के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम मा 22  जिला के 110  छंदकार मन उपस्थित रहिन. 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात भाषाविद् डॉ.चितरंजन कर  एवं अध्यक्षता अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के प्रदेश संयोजक कमल वर्मा  जी मन करीन|विशिष्ट अतिथि के रूप मा डॉ सुधीर शर्मा विभागाध्यक्ष, हिंदी कल्याण महाविद्यालय भिलाई, विजय मिश्रा अमित प्रसिद्ध रंगकर्मी,पूरन सिंह बैस केन्द्रीय अध्यक्ष,बैस कूर्मि समाज, रामेश्वर शर्मा जी वरिष्ठ साहित्यकार रायपुर,राम नाथ साहू‌ जी उपन्यासकार, वरिष्ठ छंदकार सूर्यकांत गुप्ता जी मन रहिन|

अतिथि मन के स्वागत श्री अरुण कुमार निगम,बलराम चंद्राकर,विजेंद्र वर्मा,चोवा राम वर्मा बादल,जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया,अजय साहू अमृतांशु,ज्ञानु मानिकपुरी, मीतॎ अग्वाल, पोखन लाल जायसवाल, संगीता वर्मा,आशा देशमुख, मनीराम साहू मितान, शोभा मोहन श्रीवास्तव,जगदीश साहू 'हीरा', ईश्वर साहू 'आरुग', सुखदेव सिंह 'अहिलेश्वर', नारायण वर्मा, श्लेष चंद्राकर,महेंद्र कुमार बघेल मधु, राम कुमार चंद्रवंशी,मथुरा प्रसाद वर्मा, अश्वनी कोसरे,ओम प्रकाश साहू अंकुर मन करीन| अतिथि मन ला शाल-श्रीफल- स्मृति चिन्ह भेंट करत,पुष्प माला ले सम्मानित करे गइस| 
अपन स्वागत भाषण देवत हुए छंद के छ के संस्थापक गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी संस्था के गठन के उद्देश्य एवं छ: साल के उपलब्धिय उपर प्रकाश डालत बताइन के छंद साधक मन के अब तक 22किताब के विमोचन हो चुके हे| 
 *छन्द के छ* के दीवाली मिलन समारोह के खास बात
छंद परिवार के साधक मन के सृजित पुस्तक मन के विमोचन रहिस|

         माई पहुना डॉ. चितरंजन कर जी (वरिष्ठ साहित्यकार), पगरइत श्री कमल वर्मा जी (प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ), खास पहुना -इंजी. पूरन सिंह बैस जी (अध्यक्ष बैस कुर्मी क्षत्रिय समाज), डॉ. सुधीर शर्मा जी (हिंदी विभागाध्यक्ष,कल्याण महाविद्यालय भिलाई),श्री विजय मिश्र 'अमित'(सुप्रसिद्ध रंगकर्मी, व्यंग्यकार),श्री अरुण कुमार निगम जी(संस्थापक छन्द के छ)
मन के सानिध्य मा होइस| छंद के छ परिवार के ए आयोजन मा चार किताब मन के विमोचन करे गइस| 

जउन कृति मन हवँय -

1)छंद कटोरा श्री बोधन राम निषाद राज विनायक जी
समीक्षक-ज्ञानू दास मानिक पुरी जी
 2)मोर सुग्घर गवँइगाँव - जगदीश 'हीरा' साहू
समीक्षक-मनी राम साहू मितान जी
3) छंद गीत बहार -द्वारिका प्रसाद लहरे 'मौज'
समीक्षक- अश्वनी कोसरे 'रहँगिया' जी
4)छंद फुलवारी -सुचि 'भवि' 
समीक्षक- जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया जी
कृति कार मन के सम्मानकरत संग मा 
पुस्तक मन के समीक्षा करे गइस | विस्तार भरे समीक्षा के क्रम मा 
जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया' जी, मनीराम साहू 'मितान' जी ज्ञानूदास मानिकपुरी जी अउ अश्वनी कोसरे जी मन बढ़िया 
समीक्षा अउ पुस्तक चर्चा करिन|
सबो कृतिकार मन ला बधाई अउ शुभकामना दे गइस |
द्वारिका प्रसाद लहरे मौज़ के कृति ' *छंद गीत बहार'* छत्तीसगढ़ी साहित्य के पहली पुस्तक हे जेमा छंद बद्ध गीत सामील हे|
             
             अब पारी रइस पहुना मन के उद्बोधन आशीर्वचन के-
माई पहुना भाषा विद, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ चितरंजन कर सर कहिन 
छंद के छ के परिवार के साधना, समर्पण अउ सरलग प्रयास ले छत्तीसगढ़ी भाखा अउ साहित्य हर समृद्ध होवत हे| 
भाषा के विकास बर ए उदिम अनुकरणीय अउ सराहनीय हें| पुरखा मन के पद चिन्हा मा चल के ही हमर भाषा मान पाही| 
         लोक अभिनेता, रंघकर्मी श्री विजय मिस्र अमित जी कहींन के प्रतिस्पर्धा स्वस्थ भाव ले होवय ककरो पांव नइ खींचना हे जउन आगे बढ़त हें ओला पूरा सहयोग देवव अउ संगय मा चले के प्रयास करव|
खास पहुना सुधीर शर्मा जी कहिन के छंद के छ किताब के प्रकाशन के बाद ही छंद के सीखे सिखाए के आंदोलन चलीस| आज ए विशाल पेड़ कस झलार करत हे| 
  कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष श्री कमल वर्मा जी कहिन, छत्तीसगढ़ मा पहली बार शुद्ध रूप ले केवल साहित्यक सम्मेलन आज होवत हे -छंद परिवार ल बधाई देवत कहिन  सरलग बनाए रखे के बात कहिन| माटीपूत जनकवि 
लक्षमन मस्तुरिया जी ला याद करत मोर संग चलव के गीत ल प्रस्तुत करिन| 
    जउन प्रकार ले छंद के छ परिवार के माध्यम ले छत्तीसगढ़ के रचनाकार छंदबद्ध कविता के डहर उन्मुख होवत हें उनकर जितना भी प्रशंसा करे जाय कम हे|अरुण निगम जी के प्रयास स्तुत्य हे जउन मन छत्तीसगढ़ के कलमकार मन ला नि: स्वार्थ भाव ले छंद ज्ञान देवथ हें| वो एक मिसाल हे| आदरणीय श्री
पूरन सिंह बैस,रामेश्वर शर्मा जी,राम नाथ साहू जी मन घलो संबोधित करे गइस |
    भोजन के बाद 
 दुसराइया सत्र मा 22 जिला ले आए रचनाकार मन विविध छंद मनके काव्य पाठ करत सुमधुर रसधारा बोहाइन|सबो छंदकार मन के प्रस्तुती अनुपम अउ अदभूत रहिस|छंदकार मन ला पहुना मन प्रशस्ति पत्र देवत सम्मानित करिन| पहली सत्र के संचालन श्री अजय साहू अमृतांशु जी अउ कवि सम्मेलन के संचालन जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, बलराम चंद्राकर, ईश्वर साहू आरुग,गजराज दास महंत, अश्वनी कोसरे, मोहन मयारू जी मन करीन| 
समापन के घड़ी लकठियावत रहय तव
गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी के असीष मिलिस| 
अपन उद्बोधन मा गुरुदेव जी छत्तीसगढ़ी के समृद्धि बर ए आंदोलन ला खास सहयोग करत कलम चलाय बर कहिन|
शेष रहना हे तव विशेष लिखव- पहिचान के चिंता झन करव , समय खुद मुल्यांकन कर लिही|
छंद के छ परिवार अपन महिनत अउ करम के सच्चा सेवा खातिर ही जाने जावय|
आभार संग धन्यवाद ज्ञापन संयोजक द्वय श्री बलराम चंद्राकर जी अउ विजेन्द्र वर्मा जी मन करिन|
छंद परिवार के मया दुलार आपसी भाईचारा अउ सहयोग ले सुसज्जित आयोजन सौ ले आगर छंद साधक मन के प्रभावी,अनुशासित अउ गरिमापूर्ण उपस्थिति रहिस|

अश्वनी कोसरे 'रहँगिया' 
कवर्धा कबीरधाम
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 *सियान मन के कुछ गोठ* 
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कहे जाथे कि सियान बिगर धियान नइ होवय।इही बात ल साबित करिस बैस भवन रायपुर के आयोजन,जब इतवार के दिन जुरियाय जम्मो गुरूजन अउ छंद साधक मन के उत्साह भरे उपस्थिति अउ भागीदारी ह दीवाली मिलन समारोह ल यादगार बना दिस अउ आदरणीय द्वय बलराम चंद्राकर गुरूजीअउ विजेंद्र वर्मा गुरूजी के बेहतर कार्यक्रम संयोजन ल फिर से दाद दिला दिस,त एमा हमर छंद के छ परिवार के सियान पूज्य निगम गुरुदेव के आशीर्वाद अउ मार्गदर्शन के जबर भूमिका हे। 
        एक ले सेक मनभावन  रचना प्रस्तुतीकरण,बेहतरीन मंच संचालन अउ सबो दृष्टि ले बढ़िया कार्यक्रम व्यवस्था ह अंतस ल गदगद कर दिन ।पुस्तक विमोचन, कवि गोष्ठी जइसे अविस्मरणीय बेरा के बीच हमर पहुना या सियान मन के गोठ घलो भुलाए नइ जा सकय। 

      माई पहुना आदरणीय डाॅ चितरंजन कर जी ह ऐतरेय ब्राह्मण में वर्णित छंद के मूल तत्व-लय,संतुलन,अनुपात अउ संगति के  रोचक व्याख्या के द्वारा स्पष्ट करिन  कि छंद नइ रही,त साहित्य भी नइ राहय। 
       प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ सुमन के उदाहरण ले बतइन कि बहुत कहे के बजाय कम कहि के बात ल वजनदार बनाय के प्रयास होना चाही। 
       माने व्यास शैली ह परीक्षा में निबंध लेखन म भले जँचथे,फेर साहित्य म समास शैली ही जादा कारगर होथे। 
     " जइसे मुसवा निकलथे बिल से। 
     वइसने कविता निकलथे दिल से।" ।
ए पंक्ति ले श्रद्धेय दलित जी के सुरता करत इही बात म जोर दिन कि छंद रचना में जादा से जादा समर्पण के जरूरत हे। 
      जइसे एक महतारी असह्य प्रसव पीड़ा ल सहि के नवा जीवन ल संसार  में लाथे,वीही प्रकार से साहित्य घलो जबर उदिम करे के बाद जनमथे । तबहे हर रचना ल एक विमोचन या मुक्ति कहे गेहे।

      आदरणीय डाॅ सुधीर शर्मा जी ह आघू के छंद रचनाकार अउ अब 'छंद के छ' परिवार के सोच,रचनाधर्मिता में अंतर के तुलनात्मक विवेचन करके स्पष्ट करिन कि जिहाँ पहिली के छंद कुछ परंपरागत विषय-धर्म, श्रृंगार,प्रकृति चित्रण असन विषय के आँवर-भाँवर घूमय,त आज खासकर छंद के छ परिवार के छंद रचना मन प्रगतिवादी चिंतन ले ओतप्रोत हर विषय म सृजनशीलता के परिचय देत  हें अउ वर्तमान राजनीति के विद्रूपता,भ्रष्टाचार, किसान -मजूर-आम आदमी के पीरा,शोषण जइसे हर मुद्दा ल उठाय के प्रयास करत हें। 
       एमा छंद परिवार के प्रशंसा के सँगे-संग एक आह्वान भी छिपे हे कि इही बाना ल सरलग उठा के चलना हे। 
     पूज्य गुरुदेव ल एक विश्व विद्यालय के कुलपति के संज्ञा के बाद अब एक पीठ के शंकराचार्य के उपाधि दे के डाॅ साहब के घोषणा म भले एक दोस्ताना लहजा या अतिशयोक्ति होही फेर हर छंद साधक ए बात ल दिल से स्वीकार करथे।

    आदरणीय विजय मिश्रा "अमित "जी ह अपन उदाहरण देके उपेक्षा के पीरा ल प्रकट करत ए सीख दिन कि ककरो रद्दा म बाधा नइ बनना चाही अउ कोनो आघू बढ़त मनखे ले इरखा  नइ करके खुद ल घलो ओतके काबिल बनाय के प्रयास करना चाही।

     आदरणीय कमल वर्मा जी ह श्रद्धेय मस्तूरिहा जी के उदाहरण दे के बतइन कि साहित्य के रद्दा म कतका रोड़ा आथें। 
       सँगे-संग उँकर ए चिन्ता भी विचारणीय लगिस कि बाहिर के कवि मन ल बलाके कवि सम्मेलन कराय म  श्रोता मन दउड़े परथें, फेर अपन स्थानीय छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन ल वीसने प्रतिसाद काबर नइ मिलय।
     बदलाव के बयार अब जरूर बोहावत हे,फेर अभी घलो ए दिशा में लंबा रस्ता तय करना हे। सिरतोन म जन-जन के बीच छत्तीसगढी कवि सम्मेलन के प्रचार-प्रसार अउ स्वीकार्यता बढ़ाय के जरूरत हे।

       आदरणीय रामनाथ साहू जी ह छंद आंदोलन ल लेके बुद्धिजीवी मन के चिन्ता प्रकट करिन कि का छंद रचना परंपरा, साहित्य ल जुन्ना जमाना म तो नइ ले जात हे? 
     अउ का छंद रचना मात्र अमिधा शब्द शक्ति ही प्रकट कर पाथे,लक्षणा या व्यंजना बर पर्याप्त समर्थ नइ ए? 
         फेर वो स्वयं स्वीकार करिन कि  "छंद के छ" आंदोलन ए दूनों दुश्चिंता ल गलत साबित करे के सरलग उदिम करत हे। 
         साथ में हमर छंद  परिवार बर एक गौरवान्वित करइया बात कहिन कि शांति निकेतन के गुरुदेव  रवींद्रनाथ टैगोर असन  छत्तीसगढ में  गुरुदेव संबोधन बर पूज्य निगम गुरुदेव के नाम सदैव अग्रगण्य रही।
    
   एक दुख के बात ए रहिस कि हमर व्यक्तित्व अउ कृतित्व ल सरलग सही रद्दा बतइया सियानी गोठ पूज्य गुरुदेव के मुखारविंद ले नइ सुन पाएन।( कार्यक्रम के अंतिम चरण म पूज्य गुरुदेव के दिए आशीर्वचन ले बहुत झन साधक वंचित रहि गेन। )

         निश्चित रूप ले जम्मो सियान मन के असीस हमर छंद परिवार ल अपन साधना के रद्दा म सरलग आघू बढ़े बर संबल प्रदान करत रहीं अउ आदरणीय बादल गुरुदेव के सुर म सुर मिलाके हम सबो ए जयघोष करत रहिबोंन कि 
       "छंद के छ के जय ।"


दीपक निषाद--लाटा (बेमेतरा)
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छंद के छ के स्थापना दिवस समारोह, होली मिलन समारोह या दीवाली मिलन समारोह के मुख्य उद्देश्य ही सबके संग मेल मिलाप करना होथे । दूर दराज मा रहइया छंद साधक दीदी-भइया अउ भाई- बहिनी मन ले सिर्फ व्हाट्स एप के माध्यम ले ही जान पहिचान होथे । जब छंद के छ के अइसन कार्यक्रम होथे त सब ले मिले जुले के मौका मिलथे । एक दूसर संग प्रत्यक्ष मुलाकात हो जथे ।
         27/11/2022 के बैस भवन रायपुर के दीवाली मिलन कार्यक्रम मोर बर एक ऐतिहासिक दिन रहिस । ये दिन गुरुदेव श्री निगम जी के आशीर्वाद से मोर बहुप्रतीक्षित छत्तीसगढ़ी छंद संग्रह "छंद कटोरा" के विमोचन होइस । ये मोर पहिली छंद संग्रह "अमृतध्वनि" के बाद दूसरा छंद संग्रह आय । मोर खुशी के ठिकाना नइ रहिगे । मोर आजू-बाजू बड़े - बड़े साहित्यकार मन विमोचन के बखत "छंद कटोरा" किताब ला अपन सुकोमल हाथ मा धरे रहिन । मोर हिरदय गदगद होगे । अतका सम्मान ला देख के मँय भाव विभोर होगेंव । जिनगी मा अइसन सम्मान मँय कभू नइ पाय रहेंव । ये सब गुरुदेव जी के कृपा ले ही सम्भव हो पाथे । 
                मोर एक अउ खुशी के बात रहिस । इही दिन शांति नगर रायपुर मा ही "आरोहण वेलफेयर फाऊंडेशन" छत्तीसगढ़ निषाद समाज के डहर ले घलो मोर सम्मान करे गिस । मँय अपन समाज के प्रतिष्ठित मुखिया मन संग एक घण्टा बइठ के अपन आप मा गर्व अनुभव करेंव ।
          बैस भवन रायपुर के कार्यक्रम मा 3 बजे दोपहर भोजन करके मँय अपन सामाजिक कार्यक्रम मा चले गेंव । 
     बैस भवन के खाना पीना के व्यवस्था मा कोई भी कमी नइ रहिस । खाना तो एक बहाना आय । इहाँ तो मेल मिलाप मा ही पेट भर जथे । अइसन हमर छंद परिवार के मया । इहाँ कतको मजदूर, किसान, डॉक्टर, वकील, इंजिनियर, शिक्षक, बेरिजगर, नर्स अउ कतको किसम के नौकरी पेशा के काम करइया मन एक संग एक मंच मा विराजमान होथे फेर कखरो मेर कोनों किसम के गर्व अउ घमण्ड के बात देखे बर नइ मिलय । इही तो छंद के छ के विशेषता आय ।
           अंत मा मँय इही कहना चाहत हँव कि परम आदरणीय गुरुदेव श्री निगम जी के आशीष मिलत रही त "छंद के छ" के हर समारोह मा मोर एक छंद संग्रह  पुस्तक के विमोचन होवय रहै ।

बोधन राम निषादराज✍️
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*दीवाली मिलन समारोह के मोर अनुभव :-*

दीवाली मिलन समारोह, पुस्तक विमोचन अउ छत्तीसगढ़ी छंदमय कवि सम्मेलन के आयोजन 27/11/2022 दिन इतवार के रायपुर के बैस कुर्मी भवन मा करे गे रिहिस । जेकर शुरुवात विधिवत रूप ले दीया जलाके छत्तीसगढ़ भाखा महतारी के पूजा-अर्चना करके करे गइस । सबो पहुना मन भाखा महतारी ला पुष्प अर्पित कर तिलक करिन अउ संगे-संग मा सुमधुर के धनी वरिष्ठ छंदकार बलराम चंद्राकर गुरुजी द्वारा छत्तीसगढ़ भाखा महतारी बर मनमोहक गीत प्रस्तुत करिन ।

*छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी, पइयाँ लागँव तोर.......*
*पइयाँ लागँव तोर ओ दाई....पइयाँ लागँव तोर...*

           कार्यक्रम के माई पहुना वरिष्ठ साहित्यकार, प्रख्यात भाषाविद् डॉ. चितरंजन कर जी अउ अध्यक्षता छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ, प्रदेश अध्यक्ष श्री कमल वर्मा जी, खास पहुना के रूप मा इंजी. पूरन बैस जी, डॉ.सुधीर शर्मा जी अउ सुप्रसिद्ध रंगकर्मी श्री विजय मिश्र "अमित" जी मन रहिन । मंच मा "छंद के छ" के संस्थापक श्री अरुण कुमार निगम जी संग वरिष्ठ छंद साधक छंदकार सूर्यकांत गुप्ता जी, वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा जी अउ उपन्यासकार श्री रामनाथ साहू जी मन उपस्थित रहिन ।

           पहुना मन के स्वागत ओसरी-पारी पुष्पमाला ले गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी, संयोजक द्वय बलराम चंद्राकर अउ विजेंद्र वर्मा जी संग अजय अमृतांशु जी, सुखदेव सिंह "अहिलेश्वर" जी ज्ञानू दास मानिकपुरी, चोवाराम वर्मा "बादल" जी, मनीराम साहू "मितान", ईश्वर साहू "आरुग", जितेंद्र वर्मी "खैरझिटिया", दीदी मीता अग्रवाल, आशा देशमुख, शोभामोहन श्रीवास्तव, अश्वनी कोसरे "रहँगिया" जी, जगदीश "हीरा" साहू जी, मिलन मलरिहा, मयारू मोहन कुमार निषाद जी मन के द्वारा करे गइस ।

*पहिली सत्र:-- पुस्तक विमोचन अउ अतिथि उद्धबोधन*

          अब पारी आइस छंदकार मन के पुस्तक विमोचन अउ समीक्षा के बेरा जउन ला क्रमवार सुग्घर ढंग ले पहुना मन के द्वारा करे गइस ।

पुस्तक विमोचन:- 

1. छंद कटोरा--------- बोधनराम निषादराज जी
समीक्षक-- ज्ञानू दास मानिकपुरी 
2. छंद फुलवारी------ शुचि "भवि" जी
समीक्षक-- जितेंद्र वर्मा "खैरझिटिया"
3. छंद गीत बहार--------- डी.पी.लहरे मौज जी
समीक्षक-- अश्वनी कोसरे "रहँगिया"
4. मोर सुग्घर गँवई-गाँव---- जगदीश "हीरा" साहू जी
समीक्षक-- मनीराम साहू "मितान"

        अब पारी आइस पहुना मन ला सुने के जेमा माई पहुना डॉ. चितरंजन कर जी द्वारा छत्तीसगढ़ी महतारी भाखा बर कहे गे व्याख्यान हर खास करके छंद ला साधत कहिन के हमर पुरखा हमर विरासत श्री कोदूराम 'दलित' जी ले छंद के ज्ञान अरुण कुमार निगम जी पाइस तउन ला आज परोसत हे अउ कर जी कहिन के छंद हा केवल मात्रा गिने के या वर्ण गिने के नोहे । के 25-25 या 24-24 गिनके या वर्णिक छंद ला गिनके छंद होगे  कहिन त ओहा छंद नोहे । अउ छंद के उद्गम ल बतावत कहिन के छंद के उद्गम कहाँ ले होय हे ?  "ओहा महतारी के दाई के गरब ले होय हे अउ कहिन के जब तक महतारी हे, माँ हे तब तक ममता हे ,जब तक ममता हे, तब तक लोरी हे, जब तक लोरी हे, तब तक गीत हे अउ जब तक गीत हे तब तक संवेदना हे अउ जब तक संवेदना हे तब तक मनुष्यता, मानवता, मनखेपन हे ।
छंद हा अइसे नइ आय हमर जो हिरदे मा भाव तरंग उठथे उही हर  छंद ये" । छंद के संकेत देवत कहिन के लय, संतुलन अनुपात अउ संगति ये चार मिलके छंद बनथे । अउ आखिर मा उन कहिन के जउन भाषा मा आने भाषा के आवाजाही नइ होय ओ भाषा हा मर जथे । भाषा मा आवाजाही होवन दव फेर व्याकरण ला बचा के राखव । अउ कहिन के आज के कार्यक्रम के सफलता का ये ? काबर के हमन अपन महतारी भाखा मा बोलत हन ।
एक सुग्घर गीत ले अपन उद्धबोधन के समापन करिन

*जब से छूटा गाँव, गाँव को भूला कभी नहीं* 
*वो पीपल की छाँव, छाँव को भूला कभी नहीं* 

          अइसने अउ पहुना मन घलो अपन-अपन विचार ला हमर मन के बीच मा रखिन अउ कहिन के "छंद के छ" हा एक संस्था न होके परिवार आय जउन हा सबो झन ला एकता के सूत्र मा पिरोके राखे के काम करत हे अउ येकर श्रेय जाथे श्री अरुण कुमार निगम जी ला जउन हर निःस्वार्थ भाव ले सबो झन ला छंद ज्ञान बाँटत हे । डॉ. सुधीर शर्मा जी, इंजी.पूरन सिंह बैस जी, प्रसिद्ध रंगकर्मी विजय मिश्र "अमित" जी, श्री कमल वर्मा जी, श्री रामेश्वर शर्मा जी अउ श्री रामनाथ साहू जी मन व्याख्यान देइन ।
मोला सबो पहुना मन के विचार मा सबले प्रभावशाली अउ हिरदे मा जघा बना लेहे वाला विचार डॉ. चितरंजन कर जी के लागिस ।
फेर अउ पहुना मन घलो सुग्घर विचार प्रकट करिन । येमा आंकलन करे के बात नइहे ।
श्री कमल वर्मा जी हा जनकवि लक्ष्मण "मस्तुरिया" जी ला सुरता करत उँकर कालजयी गीत रचना प्रस्तुत करिन 

*मोर संग चलव रे.......मोर संग चलव गा......*
*ओ गिरे थके हपटे मन अउ परे डरे मनखे मन*

*भोजन अवकाश:-*

         भोजन करे के बेरा होइस तब सबो छंद साधक दीदी- भईया अउ आये पहुना मन घलो भोजन व्यवस्था कक्ष मा जाके सुग्घर पारी-पारी कतारबद्ध होके हाथ मा प्लेट लेके अपन-अपन हिसाब से दार-भात, पूड़ी, रसगुल्ला, सलाद, जलेबी निकाल-निकाल के एक-दूसर संग गोठ-बात करत खाइन । संयोजक मंडल मन के डहर ले बिहनिया बर चाय नास्ता के अउ दोपहर बर भोजन के उत्तम व्यवस्था करे रहिन अउ कोनो भी प्रकार के कमी नइ रिहिस ।


*दूसरइया सत्र:- कविता पाठ( कवि सम्मेलन)*

            दूसरइया सत्र भोजन के बाद चालू होइस जेन मा 22 जिला ले आये जम्मो छंदकार अउ छंद साधक भईया-दीदी मन सुमधुर आवाज मा एक ले बढ़के एक छंद मा अपन-अपन प्रस्तुति देवत कविता पाठ करिन । मंच संचालन गुरुदेव अजय अमृतांशु जी संग बलराम चंद्राकर जी, जितेंद्र वर्मा "खैरझिटिया" जी, ईश्वर साहू "आरुग" जी, अश्वनी कोसरे "रहँगिया" जी, अउ गजराज दास महंत जी मन बढ़िया ढंग ले करिन । संयोजक मन के डहर ले भोजन व्यवस्था, मंच सजावट, साउण्ड सिस्टम सबो के अतिउत्तम व्यवस्था करे रहिन जेकर ले कार्यक्रम मा चार चाँद लग गे । अउ अवइया बेरा मा निश्चित ही अइसने सफल कार्यक्रम के आयोजन होही अइसे उम्मीद हे । 


*कुछ पंक्ति के माध्यम ले कमी-बेसी ला बताना चाहत हँव*

1. आधा साधक मन बिना कविता पाठ करे सम्मान पाती झोंकावत उहाँ ले निकल गइन तेपाय के थोरिक कार्यक्रम के रौनकता मा कमी आइस ।
2. निर्धारित समय सीमा(3 मिनट) ला देखत कतको साधक मन 4 से 6 मिनट समय ल लेवत प्रस्तुति देवत रहिन तेपाय के कार्यक्रम समापन मा देरी होइस । 

        एक विशेष आग्रह रिहिस पूज्य गुरुदेव जी ले हमर जइसन नवोदित कलमकार या नवा साधक मन ला कार्यक्रम के शुरुवात में न सहीं बीच-बीच मा कविता पाठ करे के मउका मिले ले सबो हम ला सुन सकँय अइसे व्यवस्था करे जाय । काबर के आखिरी बेरा मा मउका मिले ले आधा साधक मन तो घर जा चुके रहिथें तेपाय के कविता पाठ करे मा आनंद नइ आय । ये मोर आग्रह बस हे बाकी आप मन के विचार के अगोरा हे ।


*मुकेश उइके "मयारू"*
ग्राम-चेपा, पाली, जिला-कोरबा(छ.ग.)

Thursday 1 December 2022

छंद के छ का दीपावली मिलन समारोह संपन्न

 [11/28, 10:32 PM] ओम प्रकाश अंकुर: रिपोर्ताज 


छंद के छ का दीपावली मिलन समारोह संपन्न

पुस्तक विमोचन और राज्य स्तरीय छंदबद्ध कवि सम्मेलन हुआ 


छंद के छ के माध्यम से छत्तीसगढ़ी साहित्य समृद्ध हो रही है - चितरंजन कर

   29 नवंबर रविवार को बैस कूर्मि भवन रायपुर में छंद के छ परिवार का दीपावली मिलन समारोहऔर राज्य स्तरीय छंदबद्ध कवि सम्मेलन आयोजित किया गया. संस्था के संस्थापक अरुण कुमार निगम के मार्गदर्शन और वरिष्ठ छंदकार बलराम चंद्राकर, विजेन्द्र वर्मा के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में 22  जिला के 110  छंदकारों की उपस्थिति रही. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात भाषाविद् डॉ.चितरंजन कर थे एवं अध्यक्षता अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के प्रदेश संयोजक कमल वर्मा ने की.विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ सुधीर शर्मा विभागाध्यक्ष, हिंदी कल्याण महाविद्यालय भिलाई, विजय मिश्रा अमित प्रसिद्ध रंगकर्मी,पूरन सिंह बैस केन्द्रीय अध्यक्ष,बैस कूर्मि समाज, रामेश्वर शर्मा वरिष्ठ साहित्यकार रायपुर,राम नाथ साहू‌ उपन्यासकार, वरिष्ठ छंदकार सूर्यकांत गुप्ता की उपस्थिति रही. 

    सभा को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि चितरंजन कर ने कहा कि छंद के छ परिवार के माध्यम से शास्त्रीय कविता की ओर कवियों का बहुत रूझान बढ़ा है. कविता जनमानस में बहुत लोकप्रिय होती है और छंदबद्ध रचना हो जाए तो सोने पे सोहागा हो जाता है. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कमल वर्मा ने कहा कि जिस प्रकार से छंद के छ परिवार के माध्यम से छत्तीसगढ़ के रचनाकार छंदबद्ध कविता की ओर उन्मुख हुए हैं उनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है. 

डा. सुधीर शर्मा ने‌ अपने उद्बोधन में कहा कि अरूण निगम ने छंद के छ परिवार के माध्यम से एक आंदोलन खड़ा कर दिया है. इस संस्था के माध्यम से जहां दो सौ से अधिक साहित्यकार छंदबद्ध रचना कर रहे वहीं इसके माध्यम से छत्तीसगढ़ भाषा समृद्ध हो रही है.  विजय मिश्रा अमित ने कहा कि अरुण निगम जी का प्रयास स्तुत्य है. जिस तरह से छत्तीसगढ़ के कलमकारों को नि: स्वार्थ भाव से छंद ज्ञान दे रहे हैं वह एक मिसाल है.


सभा को पूरन सिंह बैस, रामेश्वर शर्मा,राम नाथ साहू, सूर्यकांत गुप्ता ने भी संबोधित किया. इससे पहले स्वागत भाषण देते हुए छंद के छ के संस्थापक अरुण कुमार निगम ने संस्था के गठन के उद्देश्य एवं छ: साल की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. अतिथियों का स्वागत अरुण कुमार निगम ,बलराम चंद्राकर ,विजेंद्र वर्मा , चोवा राम वर्मा बादल,जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया,  अजय साहू अमृतांशु,ज्ञानु मानिकपुरी, अश्वनी कोसरे, पोखन लाल जायसवाल, संगीता वर्मा ,आशा देशमुख, मनीराम साहू मितान, शोभा मोहन श्रीवास्तव,जगदीश साहू हीरा, ईश्वर साहू आरुग, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर,  नारायण चंद्राकर,ईश्वर साहू आरुग,नीता अग्रवाल ,महेंद्र कुमार बघेल मधु, राम कुमार चंद्रवंशी,मथुरा प्रसाद वर्मा, ओम प्रकाश साहू अंकुर ने किया. अतिथियों को शाल, श्रीफल स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया. 


    छंदबद्ध पुस्तक का विमोचन हुआ


इस अवसर पर  अतिथियों ने संस्था से जुड़े हुए छंदकारों की छंदबद्ध पुस्तक का विमोचन किया जिसमें बोधन राम निषाद का छंद कटोरा, शुची भवि  की़ कृति छंद फुलवारी, द्वारका प्रसाद लहरे  का छ़द गीत बहार, जगदीश साहू हीरा की कृति मोर सुग्घर गंवई गांव सम्मिलित है. विमोचित पुस्तकों पर ज्ञानु मानिकपुरी, जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, अश्वनी कोसरे और मनीराम साहू मितान ने चर्चा की और कृतिकारों का परिचय भी दिया.


कविता पाठ का दौर चला


 द्वितीय सत्र में  22 जिला से आए सैकड़ों रचनाकारों ने विभिन्न छंदों में काव्य पाठ कर कविता की रसधार बहाई. छंदकारों को अतिथियों ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. प्रथम सत्र का संचालनअजय साहू अमृतांशु और कवि सम्मेलन का संचालन संयुक्त रूप से जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, बलराम चंद्राकर, ईश्वर साहू आरुग , गजराज दास महंत  मोहन निषाद, अश्वनी कोसरे ने किया.   धन्यवाद ज्ञापन संयोजक द्वय बलराम चंद्राकर और विजेन्द्र वर्मा ने किया.इस अवसर पर छंद के छ परिवार के सैकड़ों छद साधकों की गरिमामयी उपस्थिति रही.

[11/29, 10:08 AM] अश्वनी कोसरे 9: *छंद के छ के दीवाली मिलन समारोह*

पुस्तक विमोचन अउ राज्य स्तरीय छंदबद्ध कवि सम्मेलन होइस सम्पन्न|

रविवार के दिन  27/11/2022 के बैस भवन राजधानी रायपुर मा छंद परिवार के भव्य आयोजन रहिस| कार्यक्रम के विधिवत सुरुआत छत्तीसगढ़ भाखा महतारी के तैल चित्र मा,सबो पहुना मन के द्वारा दीप प्रज्वलित करत,पूजा - अर्चना अउ वंदना ले छंद के छ परिवार के संस्थापक  गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी के मार्गदर्शन मा होइस| 


       वरिष्ठ छंदकार बलराम चंद्राकर, विजेन्द्र वर्मा के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम मा 22  जिला के 110  छंदकार मन उपस्थित रहिन. 


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात भाषाविद् डॉ.चितरंजन कर  एवं अध्यक्षता अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के प्रदेश संयोजक कमल वर्मा  जी मन करीन|विशिष्ट अतिथि के रूप मा डॉ सुधीर शर्मा विभागाध्यक्ष, हिंदी कल्याण महाविद्यालय भिलाई, विजय मिश्रा अमित प्रसिद्ध रंगकर्मी,पूरन सिंह बैस केन्द्रीय अध्यक्ष,बैस कूर्मि समाज, रामेश्वर शर्मा जी वरिष्ठ साहित्यकार रायपुर,राम नाथ साहू‌ जी उपन्यासकार, वरिष्ठ छंदकार सूर्यकांत गुप्ता जी मन रहिन|


अतिथि मन के स्वागत श्री अरुण कुमार निगम,बलराम चंद्राकर,विजेंद्र वर्मा,चोवा राम वर्मा बादल,जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया,अजय साहू अमृतांशु,ज्ञानु मानिकपुरी, मीतॎ अग्वाल, पोखन लाल जायसवाल, संगीता वर्मा,आशा देशमुख, मनीराम साहू मितान, शोभा मोहन श्रीवास्तव,जगदीश साहू 'हीरा', ईश्वर साहू 'आरुग', सुखदेव सिंह 'अहिलेश्वर', नारायण वर्मा, श्लेष चंद्राकर,महेंद्र कुमार बघेल मधु, राम कुमार चंद्रवंशी,मथुरा प्रसाद वर्मा, अश्वनी कोसरे,ओम प्रकाश साहू अंकुर मन करीन| अतिथि मन ला शाल-श्रीफल- स्मृति चिन्ह भेंट करत,पुष्प माला ले सम्मानित करे गइस| 

अपन स्वागत भाषण देवत हुए छंद के छ के संस्थापक गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी संस्था के गठन के उद्देश्य एवं छ: साल के उपलब्धिय उपर प्रकाश डालत बताइन के छंद साधक मन के अब तक 22किताब के विमोचन हो चुके हे| 

 *छन्द के छ* के दीवाली मिलन समारोह के खास बात

छंद परिवार के साधक मन के सृजित पुस्तक मन के विमोचन रहिस|

ओमप्रकाश अंकुर

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         माई पहुना डॉ. चितरंजन कर जी (वरिष्ठ साहित्यकार), पगरइत श्री कमल वर्मा जी (प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजपत्रित अधिकारी संघ), खास पहुना -इंजी. पूरन सिंह बैस जी (अध्यक्ष बैस कुर्मी क्षत्रिय समाज), डॉ. सुधीर शर्मा जी (हिंदी विभागाध्यक्ष,कल्याण महाविद्यालय भिलाई),श्री विजय मिश्र 'अमित'(सुप्रसिद्ध रंगकर्मी, व्यंग्यकार),श्री अरुण कुमार निगम जी(संस्थापक छन्द के छ)

मन के सानिध्य मा होइस| छंद के छ परिवार के ए आयोजन मा चार किताब मन के विमोचन करे गइस| 


जउन कृति मन हवँय -


1)छंद कटोरा श्री बोधन राम निषाद राज विनायक जी

समीक्षक-ज्ञानू दास मानिक पुरी जी

 2)मोर सुग्घर गवँइगाँव - जगदीश 'हीरा' साहू

समीक्षक-मनी राम साहू मितान जी

3) छंद गीत बहार -द्वारिका प्रसाद लहरे 'मौज'

समीक्षक- अश्वनी कोसरे 'रहँगिया' जी

4)छंद फुलवारी -सुचि 'भवि' 

समीक्षक- जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया जी

कृति कार मन के सम्मानकरत संग मा 

पुस्तक मन के समीक्षा करे गइस | विस्तार भरे समीक्षा के क्रम मा 

जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया' जी, मनीराम साहू 'मितान' जी ज्ञानूदास मानिकपुरी जी अउ अश्वनी कोसरे जी मन बढ़िया 

समीक्षा अउ पुस्तक चर्चा करिन|

सबो कृतिकार मन ला बधाई अउ शुभकामना दे गइस |

द्वारिका प्रसाद लहरे मौज़ के कृति ' *छंद गीत बहार'* छत्तीसगढ़ी साहित्य के पहली पुस्तक हे जेमा छंद बद्ध गीत सामील हे|

             

             अब पारी रइस पहुना मन के उद्बोधन आशीर्वचन के-

माई पहुना भाषा विद, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ चितरंजन कर सर कहिन 

छंद के छ के परिवार के साधना, समर्पण अउ सरलग प्रयास ले छत्तीसगढ़ी भाखा अउ साहित्य हर समृद्ध होवत हे| 

भाषा के विकास बर ए उदिम अनुकरणीय अउ सराहनीय हें| पुरखा मन के पद चिन्हा मा चल के ही हमर भाषा मान पाही| 

         लोक अभिनेता, रंघकर्मी श्री विजय मिस्र अमित जी कहींन के प्रतिस्पर्धा स्वस्थ भाव ले होवय ककरो पांव नइ खींचना हे जउन आगे बढ़त हें ओला पूरा सहयोग देवव अउ संगय मा चले के प्रयास करव|

खास पहुना सुधीर शर्मा जी कहिन के छंद के छ किताब के प्रकाशन के बाद ही छंद के सीखे सिखाए के आंदोलन चलीस| आज ए विशाल पेड़ कस झलार करत हे| 

  कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष श्री कमल वर्मा जी कहिन, छत्तीसगढ़ मा पहली बार शुद्ध रूप ले केवल साहित्यक सम्मेलन आज होवत हे -छंद परिवार ल बधाई देवत कहिन  सरलग बनाए रखे के बात कहिन| माटीपूत जनकवि 

लक्षमन मस्तुरिया जी ला याद करत मोर संग चलव के गीत ल प्रस्तुत करिन| 

    जउन प्रकार ले छंद के छ परिवार के माध्यम ले छत्तीसगढ़ के रचनाकार छंदबद्ध कविता के डहर उन्मुख होवत हें उनकर जितना भी प्रशंसा करे जाय कम हे|अरुण निगम जी के प्रयास स्तुत्य हे जउन मन छत्तीसगढ़ के कलमकार मन ला नि: स्वार्थ भाव ले छंद ज्ञान देवथ हें| वो एक मिसाल हे| आदरणीय श्री

पूरन सिंह बैस,रामेश्वर शर्मा जी,राम नाथ साहू जी मन घलो संबोधित करे गइस |

    भोजन के बाद 

 दुसराइया सत्र मा 22 जिला ले आए रचनाकार मन विविध छंद मनके काव्य पाठ करत सुमधुर रसधारा बोहाइन|सबो छंदकार मन के प्रस्तुती अनुपम अउ अदभूत रहिस|छंदकार मन ला पहुना मन प्रशस्ति पत्र देवत सम्मानित करिन| पहली सत्र के संचालन श्री अजय साहू अमृतांशु जी अउ कवि सम्मेलन के संचालन जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, बलराम चंद्राकर, ईश्वर साहू आरुग,गजराज दास महंत, अश्वनी कोसरे, मोहन मयारू जी मन करीन| 

समापन के घड़ी लकठियावत रहय तव

गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी के असीष मिलिस| 

अपन उद्बोधन मा गुरुदेव जी छत्तीसगढ़ी के समृद्धि बर ए आंदोलन ला खास सहयोग करत कलम चलाय बर कहिन|

शेष रहना हे तव विशेष लिखव- पहिचान के चिंता झन करव , समय खुद मुल्यांकन कर लिही|

छंद के छ परिवार अपन महिनत अउ करम के सच्चा सेवा खातिर ही जाने जावय|

आभार संग धन्यवाद ज्ञापन संयोजक द्वय श्री बलराम चंद्राकर जी अउ विजेन्द्र वर्मा जी मन करिन|

छंद परिवार के मया दुलार आपसी भाईचारा अउ सहयोग ले सुसज्जित आयोजन सौ ले आगर छंद साधक मन के प्रभावी,अनुशासित अउ गरिमापूर्ण उपस्थिति रहिस|


अश्वनी कोसरे 'रहँगिया' 

कवर्धा कबीरधाम