Tuesday 31 May 2022

भोरमदेव साहित्य सृजन मंच के स्थापना दिवस समारोह अउ छंद परिवार के साधकगण




31 मई 2022









 






































भोरमदेव साहित्य सृजन मंच अउ छंद परिवार के साधकगण

 *छंद के छ* के संस्थापक प्रणम्य गुरुदेव *श्री अरुण कुमार निगम जी* ला भोरमदेव साहित्य सृजन मंच कबीरधाम के द्वारा *भोरमदेव साहित्य रतन सम्मान* ले सम्मानित करे गिस अउ वरिष्ठ छंद साधक साहित्यकार *स्व. महेंद्र देवांगन माटी(पुत्री कु.प्रिया देवांगन "प्रियू")* जी ला *डेरौठी के दीया- सुरता सम्मान* ले सम्मानित करे गिस। हमर छंद परिवार के ही छंदकार श्री मनीराम साहू "मितान" जी, श्री बलराम चंद्राकर जी, श्री जितेंद्र वर्मा "खैरझिटिया" जी, श्री उमाकांत टैगोर जी, श्री ईश्वर साहू "आरुग" जी, आप जम्मो झन *लोकधुन काव्य धारा विशेष सम्मान* ले सम्मानित करे गिस

Tuesday 24 May 2022

छन्द के छ"के छठवां स्थापना दिवस मा मोर हृदय के गोठ**

 

























































**छन्द के छ परिवार के छठवां स्थापना दिवस मा मोर हृदय के गोठ**

मोर दुध भातिन के ए हर पहिला प्रयास हवे, भूल चूक न माफ़ करत करत सुधार भी आपमन ज़रूर बताबो

राजनांदगांव- छन्द के छ के छटवां स्थापना दिवस, पुस्तक विमोचन, सम्मान समारोह, अउ राज्य स्तरीय छत्तीसगढ़ी छन्द कवि सम्मेलन  आयोजन आदिवासी गोंड़ भवन राजनांदगांव मा रविवार दिनांक 22.05 2022 के होइस।
आयोजन के माई पहुना प्रोसेसर राजन यादव, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़  रहिन,
पगरइती नीलकंठ गढ़े राष्ट्रिय महासचिव केंद्रीय गोंड़ महासभा करिन,
खास पहुना डॉ विनोद वर्मा व्याकरणविद् बिलासपुर,
आदरणीय वीरेन्द्र बहादुर सिंग वरिष्ठ पत्रकार, राजनांदगांव,
 आदरणीयअरुण निगम संस्थापक छन्द के छ दुर्ग,
अउ 
आदरणीय कुबेर साहू राष्ट्रीय गद्यकार मन रहिन।
 सबले पहिली छत्तीसगढ़ी भाखा मा महुँ हर अतका बड़े बड़े लोगिन के आघु मा काव्यपाठ ला करें हंव ए मोला अबतक ले सुपना जइसन लागत हवे।
मोला सुरता आवत हे स्वर्गीय नवीन तिवारी जी के नानी जी, सेना सैनानी कुंज बिहारी जी के धर्म पत्नी जी के जन्मदिवस मा दुर्ग मा आयोजित कार्यक्रम के पंडाल , जेमा मोर परिचय  आदरणीय अरुण निगम जी ले , तिवारी जी करइन अउ मोर सिफारिश घलव करइन कि हिंदी मा बने दोहा लिखते आपमन एला छंद सिखा दुहु।
तब तक मोला ए बात नइ पता रिहिस के मोला छत्तीसगढ़ी मा छंद सीखे न पड़हि। मोर उहि पंडाल मा इंटरव्यूह लिहिन हें आदरणीय निगम जी, सूर्यकांत गुप्ता जी भी रिहिन ओ मेर।
मोर फ़ोन नम्बर घलव दर्ज हुइस हे अउ कार्यक्रम के बाद महुँ अपन घर आ गेंव।
बात तो अब रिहिस रोज के। सुरुज उगे से मोर व्हाट्सएप्प झाँकई चालू होवत रीस। काबर के निगम जी बोलें रिहिस की कोनो मेर जगह खाली हुई  त वही वाले कक्षा मा जोड़ लेबो।
अचानक एक रोज बिहना मोर खुशी के ठिकाना नो रिहिस।मय हर घलव छंद के परिवार के सदस्य बने बर चयनित हो गे रेहे हँव।
हृदय के गोठ न बतावत हों, जतना मुश्किल मोला होत रिहिस छत्तीसगढ़ी भाखा मा छंद सीखे मा, ओखर से हज़ार गुना मुश्किल मोर कक्षा के गुरुजी मन ला होत रिहिस होई मोर उटपटांग छत्तीसगढ़ी भाखा लिखई ला जांचे बर।
मगर कोनो गुरुजी अउ गुरुदीदी मोर कना आज तक ले कुछु नहीं बोले हन
अउ जइसन परिवार मा कमजोर ल हाथ धर के रेंगाथें, वइसन मोला आज तक ले मया दुलार मिलत हे।
पहिले पहले मोला कार्यक्रम मा कोनो भी साधक मन ले गोठ बात करय मा अब्बड़ अकबकासी लागय।फेर धीरे धीरे थोड़ा से खुले हँव बातचीत बर।
अब मोला छंद के छः परिवार अपन मायका सरीख लागथे।इहाँ मँय हर कोनो सिखइया के नाम नइ लेवत हँव  काबर के सबो मन मोर गुरु हें, सबला पढ़ पढ़ के, सुन सुन के मँय हर सीखतेच ह्नवों। मगर कक्षा के गुरुजी मन ला मरत तक ले, आखिर सांस तक ले नइ भूल संकव।हृदयतल ले आपमन के आभारी हँव।
मोर पिताजी डॉ त्रिलोकी नाथ क्षत्रिय जी, भिलाई स्टील मा जनरल मैनेजर पोस्ट ले रिटायर होए रिहिस मगर साइकिल ल धर के गाँव गाँव घुमय, लइका मन ला खेल ख़िलावय, और बने विचार के प्रयास प्रचार भजन बुलवा के करय। लइका मन ओला 'भापा' कहिके बुलांवय। महुँ अपन ददा सँग अब्बड़ कन गाँव घूमे रेंहेव मगर कभू छत्तीसगढ़ी बोले के कोशिश नइ करे रेहेंव, समझ जात रेंहेव कोनो मन बोलें त।पुरदा गाँव मा चेती नाम के नोनी घर बोरे बासी चटनी सँग खाये रेहेंव जब सातवीं पढ़त रेहेंव।
माटी ले मोला, मोर ददा जोड़ के गिहिन अउ भाखा ले मोला आदरणीय निगम जी अउ कक्षा के गुरुजी मन ह जोड़ीन।
अबहु भी अब्बड़ कन समय लागहि सीखे मा मगर आपमन के मया दुलार मा कोनो दिन सीख ज़रूर जहुँ ए मोला विश्वास हे।
राजनांदगांव जाए बर एकदम तैयार रेहेंव फेर कइसन जहूँ ए चिंता रिहिस हे। हर बार नीलम जी के फ़ोन आत रिहिस, चले बर, ए बार नो आय रिहिस त सुमित्रा दीदी कार मा जाने वाला रिहिस अउ एके सीट रिहिस, त सुमित्रा जी अपन सीट ल छोड़ के मोर सँग बस मा जाहिं बोलिस हैंवे। हम दुनो झन बस मा बइठे बर तैयार हो गे रिहिन  त अचानक बलराम चंद्राकर जी बोलिस मोर गाड़ी जावत हे जल्दी आवव आपमन।
पारिवारिक मया के मय हर कतना बखान कंरव, अनंत हवे इहाँ के मया दुलार।
बाकी व्यवस्ता के उत्तम होए बर आपमन बहुत से समीक्षा पढ़ डारे हव।
मोर मन के गोठ ल मय हर साझा करें हँव। जिनगी के का भरोसा, मोर हृदय के गोठ ला बने छत्तीसगढ़ी भाखा सीखे के बाद लिखहुँ सोचे रेहे हँव, फेर आज टूटा फूटा छत्तीसगढ़ी मा लिख पड़े हँव
हँसहु झन आपमन

राजनांदगांव के सबो व्यवस्थापक मन ल मोर अन्तस् ले धन्यवाद।

शुचि 'भवि'
दूधभातिन
भिलाई, छत्तीसगढ़
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स्थापना दिवस समारोह-2022  (मोर अनुभव)          

                  कला,संस्कृति, साहित्य अउ संस्कार के नगरी राजनांदगांव मा छंद के छ के स्थापना दिवस रूपी महायज्ञ के होना, जम्मों छंद साधक मन बर गरब के बात आय। परम् पूज्य गुरुदेव श्री निगम जी के मार्गदर्शन अउ राजनांदगांव के साधक मनके संयोजन मा उत्कृष्ट कार्यक्रम सम्पन्न होइस। येखर बर संयोजक मंडल श्री महेंद्र बघेल जी, ओमप्रकाश अंकुर जी, शेरसिंह गोड़िया जी, राजकुमार चौधरी जी, नन्दकिशोर साव नीरव जी,राम कुमार चन्द्रवंसी जी अउ राजनांदगांव इकाई बधाई के पात्र हे। कार्यक्रम मा ज्ञानू मानिकपुरी के श्रम के जतके तारीफ करे जाय कमती हे। ज्ञानू जी ला येखर बर सह्रदय बधाई। कार्यक्रम के रूपरेखा बर परम् पूज्य गुरुदेव श्री निगम जी, अजय अमृतांशु जी, बलराम चन्द्राकर जी, ज्ञानू मानिकपुरी जी, महेन्द्र बघेल जी अउ ओमप्रकाश अंकुर जी के विशेष सहयोग रिहिस। कोनो भी कार्यक्रम तन मन अउ धन ले सम्पादित होथे। ये सब बर सबो साधक के निःस्वार्थ सहयोग वन्दनीय हे। सहयोग के रूप मा,साधक मन द्वारा, छंद परिवार ला पुस्तक भेंट। करना, उचित मूल्य मा क्रय करना अउ नकदी मदद एक अनोखा मिसाल आय। 
              जेठ के चट चट जरत घाम अउ गर्मी  पंखा कूलर मा चिटको नइ जनाइस। पीये के ठंडा पानी अउ खाय के स्वादिष्ट नास्ता अउ भोजन लाजवाब रिहिस। वइसने लाजवाब रिहिस जम्मों साधक मनके जुड़ाव, दया, मया, अउ अनुशासन, जेखर तारीफ करत अतिथि मन घलो नइ थकिस। पूरा के पूरा कार्यक्रम तय रूपरेखा के मुताबित समय के बने ग्राफ मा दौड़िस, येखर बर  संचालक अजय अमृतांशु जी संग जम्मों साधक मन बधाई के पात्र हें। पहुनाई करत पद्मा साहू, शैल शर्मा समेत जम्मो पधारे नारी शक्ति मनके, शक्ति स्थापना दिवस समारोह मा सहज दिखिस। आयोजक मंडल के व्यवस्था बहुतेच बढ़िया रिहिस। एके संघरा 8 पुस्तक के विमोचन अपन आप मा ऐतिहासिक हे, ये गौरव  छंद परिवार बर सुखद अनुभूति आय। छत्तीसगढ़ी भाँखा महतारी के असल सेवा के बीड़ा, ये परिवार के एक एक सदस्य अपन मुड़ी मा बोहे हें। कविता पढ़ना सुनना तो एक बहाना रिहिस, मूल उद्देश्य रिहिस भेंट भलाई। जेमा छंद परिवार हमेशा के तरह खरा उतरत दिखिस। समय के कमती जरूर रिहिस फेर झरत मया अथाह दिखिस। छंदमय राग रंग के वर्षा मा सबो मगन होके भींगेन।
              संयोजकगण अउ साधकगण के आलावा हमर अतिथि मनके सहयोग अउ मया दुलार हम सब ला भरपूर मिलिस। तभे तो अध्यक्षता करत गढ़े जी अपन सामाजिक भवन ला 22 मई के छंद परिवार के नाँव करदिस। खास पहुना डॉ विनोद वर्मा जी हा अपन लिखे हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के 15,15  नग व्याकरण के बड़का पुस्तक छंद परिवार ला भेंट करिन। माई पहुना के जबर छन्दमय उद्बोधन हम सब के अन्तस् मा नव ऊर्जा के संचार कर दिस। साहित्यकार कुबेरसिंह साहू जी के वर्तमान के चित्र अउ वांछित विमर्श मा लेखन के सलाह अनुकरणीय रिहिस, ता पत्रकार वीरेंद्र बहादुर जी के सम्पूर्ण कार्यक्रम के मीडिया कवरेज वंदनीय रिहिस। खास पहुना डॉ पीसी लाल यादव जी के कमी खलिस घलो। अउ सबले बड़े गरब करे के बात, कि हमर परिवार के एक निवेदन मा पहुना मन बगैर कोनो मॉन देय के माँग करे बिना जुड़िन, अइसन मया दुलार ला छंद परिवार अपन अन्तस् मा सबे दिन धरे रही।
                  परिवार के जम्मों साधक छोटे बड़े के भाव ले इतर एक मया के डोरी मा गुथाये दिखिस, जेला शब्द दे पाना बड़ मुश्किल हे,डॉक्टर, मास्टर, प्रोफेसर,बड़े छोटे अधिकारी, गृहणी संग महिनत मजदूरी करइया जमे साधक एक सूत्र मा सजे दिखिस। गुरु शिष्य परम्परा के मिसाल, हमर परिवार मा अद्भुत हे। कार्यक्रम मा मिलजुल के आना अउ जाना, संगे संग आय जाय के शोर खबर देना अउ कहुती,नइ दिखे। संयोजक मंडल के चार चौकस व्यवस्था सच मा बेजोड़ रिहिस, जतका तारीफ करे जाय कमती हे। अपन कार्यक्रम मान के सबे साधक मन समर्पित भाव ले जुड़िन अउ सहयोग करिन, इही सब भाव कार्यक्रम के सफलता के कहानी लिखिस। कार्यक्रम सफल होय के बाद गंगा नहाय कस परम् अनुभूति होइस।  सबों साधक संगी मनके प्रत्यक्ष अउ अप्रत्यक्ष सबे प्रकार के सहयोग ला नमन करत,गुरुदेव श्री ला सादर पायलागी।।

जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया'
बाल्को,कोरबा(छग)
साधक-सत्र-03
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*मोर अनुभव अउ भाव ,मनोदशा*


गुरु के महिमा ल तो शेष शारद नई कर सकय
तो मोर का हस्ती।
गुरुदेव ला कोटिशः नमन।🙏🙏🙏🙏

राजनांदगांव के पावन भुइयां ला कोटिशः प्रणाम करत हँव।
जेन मोर साहित्य के नवा अध्याय लिख दिस।

उहाँ पहुँचते ही सब भाई मन के चित्त परिचित चेहरा देख के मन खुश होगे।
अइसे लागत रहिस कि मोर मइके के भाई बहिनी कुटुंब कबीला से मिलत हँव।
निर्मल अगाध मया श्रद्धा देखके अइसे लागत हे कि सात समुंदर के रतन मन ला मोर अँचरा में गठियाय हँव।

राजनांदगांव के कार्यक्रम तो अविस्मरणीय है ही।
लेकिन उहाँ के सबो आर्गेनाइजर साधक भाई बहिनी के श्रद्धा देखके मन गदगद होगे।
हमर भाई मन के कार्य ततपरता के जतका तारीफ करे जाय कम ही हे।

अउ भोजन तो अमृत सरीखे रहिस।
शायद अइसने प्रेम श्रद्धा से बनाये जिनिस ल ही मोर ख्याल से अमरित के उपमा मिले हे।

अइसन खुशी तो फाईव स्टार  होटल में भी नई मिल सकय ,जिंहा पैसा ही बोलथे।
मया ,दया ,सुमता के संउहत जमावड़ा देखके आँखी ले श्रद्धा के आँसू अभी भी लिखत समय झरत हे।
अब कतिक ल बखान करौं भाई बहिनी हो।
कोंदी ला गुड़ खवा के पूछहु
तब वो का जवाब दिही।
वोखर जवाब तो आँखी अउ मन के भाव ही दे सकत हे।

एक बात मोला वो दिन चरितार्थ होय कस लागिस

कबीरदास जी के दोहा के

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूँ पाय।
बलिहारी गुरु आपने,  गोविंद दियो बताय।।

ये कथन मोला आदरणीय प्रोफेसर श्री राजन यादव जी के वक्तव्य सुनके चरितार्थ कस लागिस।
उनमन ला सुनके मन नई भरे हे।
अउ दो चार घण्टा भी सुनतेंव तो भी शायद कम ही हे।
अइसन व्यक्तित्व के दर्शन मात्र भी सौभाग्य हे लागत हे।

हर साधक भाई बहिनी मन के मया तो बखान करे ही नई जा सकय।
जिंखर श्रद्धा मान मया से छंद चंदैनी बगर गे।


आशा देशमुख🙏🙏🙏
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**छन्द के छ परिवार के छटवां स्थापना दिवस मा सकलाइन छंद साधक**

कवि अउ कलाकार सांस्कृतिक दूत होथंँय- **प्रो राजन यादव**

थपरी(ताली) कोनों ला महान नइ बना सकय, साधना ले मनखे महान बनथे- **अरुण निगम**

राजनांदगांव- छन्द के छ के छटवां स्थापना दिवस, पुस्तक विमोचन, सम्मान समारोह, अउ राज्य स्तरीय छत्तीसगढ़ी छन्द कवि सम्मेलनसाहू आयोजन आदिवासी गोंड़ भवन राजनांदगांव मा होइस।आयोजन के माई पहुना प्रोसेसर राजन यादव इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ रहिन,पगरइती नीलकंठ गढ़े राष्ट्रिय महासचिव केंद्रीय गोंड़ महासभा करिन,खास पहुना डॉ विनोद वर्मा व्याकरणविद् बिलासपुर,, वीरेन्द्र बहादुर सिंग वरिष्ठ पत्रकार राजनांदगांव, अरुण निगम संस्थापक छन्द के छ दुर्ग,अउ कुबेर साहू राष्ट्रीय गद्यकार मन रहिन। सबले पहिली छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी के फोटू मा जम्मो पहुना मन पूजा पाठ हुम धूप करिन अउ दिया बारिन। महतारी भाखा वंदना जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया गीत गाके करिन, पाछू सबो पहुना मन के स्वागत फूल माला अउ पीयर चउर के टीका लगाके ओमप्रकाश साहू अंकुर, महेंद्र बघेल, शेरसिंग गौड़िया, राजकुमार चौधरी, नंदकुमार साहू, अमृत दास साहू, दूजराम साहू, शिव प्रसाद लहरे,भूखन वर्मा, खेमलाल सहारे, वेद राम पटेल, धनराज साहू,रोशन साहू, राजेश जंगेल, डोहर साहू , लखनलाल साहू लहर, कैलाश साहू,कोमलसिंह ध्रुव, चोवाराम वर्मा बादल, पदमा साहू अउ उखर संगवारी मन करिन। स्वागत होय पाछू पुस्तक विमोचन के बेरा शुरू होइस जेमा दीदी आशा देशमुख के छंद चंदैनी,कन्हैया अमित साहू के लइकामन बर छंदबद्ध  कवितासंदूक फुरफुंदी अउ जनउला, राजकुमार चंद्रवंशी के छंद बगिच्चा,दीदी धनेश्वरी सोनी गुल के बरवै धन कोठी, चोवा राम वर्मा बादल के गद्यबीड़ा बहुरिया, दीदी शोभा मोहन श्रीवास्तव के तैं तो पूरा कस पानी उतर जाबे रे अउ धनेश्वरी सोनी गुल के गुल की कुंडलियां के विमोचन जम्मो पहुना मन के हाथ ले होइस। पाछू इन सबो पुस्तक लिखइया मन अपन पुस्तक के एकक ठन रचना पढ़ के अउ गा के सुनाइन।
        दूसरइया सत्र मा छंद के छ परिवार ला आघू बढ़इया अउ छत्तीसगढ़ी भाखा ला पोठ करे बर बीते पाँच बच्छर ले नवा नवा उदिम करइया संगे संग गुरु, लेखक के भूमिका निभइया विभूती मनला "छंद रतन सम्मान" ले सम्मान पत्र, शाल, नरियर देके सम्मानित करे गइस।सम्मानित होवइया मा आशा देशमुख कोरबा ला छंद चंदैनी बर, कन्हैया साहू अमित ला जनउला बर, मनीराम मितान ला महापरसाद बर, बोधनराम निषाद ला अमृत ध्वनि छंद बर, रामकुमार चौधरी ला छंद बगिच्चा बर, धनेश्वरी सोनी गुल ला बरवै छंद कोठी बर सम्मानित करे गइस। पाछू अशीष देवत माई पहुना राजन यादव जी हा कहिन कि संचित ज्ञान राशि ला साहित्य कहे जाथे रचना विधान ले सृष्टि ले सिरजाय जाथे। कवि अउ कलाकार  मन सांस्कृतिक दूत होथे। भक्तिकाल, रीतिकाल, आधुनिक काल सबो काल मा छंदबद्ध रचना लिखे गइस।रामचरित मानस, कबीर के साखी इखर सँहत उदाहरण हवय। गुरुदेव अरुण निगम हा कहिन छंद परिवार छत्तीसगढ़ी भाषा ला पोठ करे अउ व्याकरण सम्मत बनाय बर उदिम करत हवय। छै बच्छर मा ए परिवार मा दू सैकड़ा ले आगर साधक मन ए दिशा मा महत्वपूर्ण कार्य करत हवय। छत्तीसगढ़ी  भाखा तब तक जियत रही जब तक अइसन छत्तीसगढ़ी के साधक मन रही। पुस्तक ला पढ़के कोनों इंजीनियर, डाक्टर, वकील बन जातिस ता इस्कूल, कालेज अउ विश्वविद्यालय के जरुरत नइ पड़तीस। साहित्य हा साधना के फल होथय। अहंकार के संग वंदना, पूजा, प्रार्थना अउ साधना नइ हो सकय। साधना हा मनखे ला महान बना सकथे। खास पहुना विनोद वर्मा जी  कहिन कि छत्तीसगढ़ी भाखा मा क्रिया मा स्त्रीलिंग पुल्लिंग के भेद नइ हे। व्याकरण हा कोनों भी भाखा के रीढ़ होथय। कार्यक्रम मा पगरइती करइया नीलकंठ गढ़े, खास पहुना वीरेन्द्र बहादुर सिंह, कुबेर साहू जी मन घलाव अशीष देइन। मंझनिया सबो झन जेवन करिन जेवन मा मिठई, दार भात दू किसम के साग रायता सलाद पापर परोसे गइस। 
       खाय पिये पाछू आखिरी सत्र मा राज्य स्तरीय छंद बद्ध कवि सम्मेलन मा राज्यभर ले आये साधक मन अपन अपन रचना पाठ करिन जेमा जितेंद्र कुमार वर्मा खैरझिटिया कोरबा, दिलीप वर्मा, उमाकांत टैगोर कन्हाईबंद चांपा, बलराम चंद्राकर भिलाई, बासंती वर्मा बिलासपुर, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, शोभा मोहन श्रीवास्तव पाटन, राजकिशोर धिरही, मीता अग्रवाल, मोहन वर्मा, नीलम जायसवाल, नंदकिशोर साव, दिलीप पटेल, जिला बालोद ले नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र,वीरेन्द्र कंसारी जिला बलौदाबाजार ले अजय अमृतांशु भाटापारा, इन्द्राणी साहू"साँची", मोहन कुमार निषाद,मनोज कुमार वर्मा, चोवा राम 'बादल' हथबंद, अशोक कुमार जायसवाल, मथुरा प्रसाद वर्मा, कौशल साहू भागवत प्रसाद चन्द्राकर डमरु,राजेन्द्र कुमार निर्मलकर, मनीराम साहू 'मितान' सिमगा पोखन लाल जायसवाल, जिला बेमेतरा ले मनीष वर्मा,सुनिल शर्मा "नील", दीपक निषाद लाटा,लिलेश्वर देवांगन, नारायण प्रसाद वर्मा "चंदन",कमलेश वर्मा, आशुतोष साहू, नारायणपुर, ईश्वर साहू आरुग, जुगेश कुमार बंजारे,जिला बिलासपुर ले धनेश्वरी सोनी गुल, जिला दुर्ग ले शुचि 'भवि' भिलाई, सुमित्रा शिशिर, विजेन्द्र कुमार वर्मा, संगीता वर्मा भिलाई, नीलम जायसवाल, भिलाई,गजराज दास महंत, भिलाई, हेमलाल साहू धमधा,नारायण प्रसाद पाटन, मोहनलाल साहू कबीरपंथी दानीकोकड़ी, जिला गरियाबंद ले हीरालाल गुरुजी "समय" छुरा,प्रिया देवांगन प्रियू राजिम, केवरा यदु"मीरा"राजिम, जिला जांजगीर चांपा ले गजराज दास महंत जिला जशपुर ले मिलन मलरिहा,जिला कबीरधाम ले ज्ञानु मानिकपुरी बोधन राम निषादराज, सहसपुर लोहारा, द्वारिका प्रसाद लहरे मौज, अश्वनी कोसरे रहँगिया, रमेश चौरिया राही सुखदेव सिंह, गोरखपुर, खैरागढ़ ले पदमा साहू जी पर्वणी, दूजराम साहू जिला कोरबा ले अनुज छत्तीसगढ़िया पाली,  मुकेश उइके "मयारू" पाली महासमुंद ले श्लेष चन्द्राकर, जिला रायपुर से राकेश कुमार साहू धरसींवा,राजेश कुमार निषाद, राजकुमार निषाद"राज",मोहन लाल वर्मा, तिल्दा, गुमान प्रसाद साहू,अशोक धीवर "जलक्षत्री" तिल्दा जिला राजनाँदगाँव ले श्रीमती शैल शर्मा जी अउ बहुते अकन छंद साधकमन अपन रचना पाठ त्राटक छंद, लावणी छंद सार छंद, सखी छंद, आल्हा छंद, घनाक्षरी छंद, दोहा, चौपई, रोला, विधाता छंद मा पढ़िन अउ सुनिन। कार्यक्रम के संचालन अजय साहू अमृतांशु, ईश्वर साहू आरुग, जितेन्द्र वर्मा, कौशल साहू, मन आरी पारी करिन। सबो पहुना मन ला आयोजक डहर ले सुरता चिन्हा देय गइस अउ छंद साधक मन ला सम्मान पत्र देय गइस। सुग्घर आयोजन अउ बेवस्था बर आयोजक मन ला सबो मन धन्यवाद देवत बिदाई पाइन।


हीरालाल गुरुजी"समय"
छुरा, जिला गरियाबंद
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*सुरता*
-- *'छंद के छ' के छठवाँ स्थापना दिवस के मोर अनुभव* --
'छंद के छ' के छठवाँ स्थापना दिवस विगत 22 (बाइस) मई 2022 के साहित्य अउ संस्कार के गढ़ राजनांदगांव में मनाए गिस। स्थापना दिवस के तइयारी, जम्मो साधक मन अपन-अपन कोती ले महीना भर आघू ले करत रिहिन। दिन धराए के बाद सब के तइयारी बाढ़ गे रहय। जिंँहा व्यवस्थापक मन अपन-अपन काम मा लगे रिहिन, उंँहे अन्य साधक मन अपन रचना प्रस्तुति बर तइयारी करत देखे गिन।
  सब अपन-अपन सवारी साधन तको पहिली ले निश्चित कर ले रिहिन। छंद परिवार के कार्यक्रम हर सबके मन मा उत्साह भर देथे। ये हर स्थापना दिवस के संगे-सँग छंद परिवार के मिलन के कार्यक्रम रिहस। जम्मो साधक सँगवारी भइया-दीदी, गुरुदेव मन ले भेंट-मुलाकात के सुघ्घर साइत ला कोन गँवाना चाही। महूँ हा राजनांदगांव जाए बर जबर उत्साहित रहेंव। जब भी कोइ साहित्यिक कार्यक्रम रइथे, त मँय हर अगर अपन साधन म जाथँव त अपन संग, अउ सँगवारी मन ला घलव लेग जथँव। फेर ए दरी मोर करा अपन साधन के बेवस्था नइ रिहिस, ये पाय के पिताजी के सलाह ले बस मा जाए के विचार करेंव।
  फेर गुरुदेव निगम जी के प्रेरणा ले, अन्य साधक संगी मन ले संपर्क घलो करेंव, कि कोनो के संग मिलतिस त चल देतेंव। भइया बलराम चंद्राकर जी, वीरेंद्र वर्मा जी ले संपर्क करेंव, ओ मन ल ड्यूटी के सेती देरी ले जाना रिहिस, ते पाय के पहिली ले पोठ जानकारी नइ दे सकिन। तब मँय शोभा मोहन बहन ले संपर्क करेंव त ओ ह मोर ले कहिस कि मीता अग्रवाल सन रायपुर ले आठ बजे निकलहूँ, तहूँ तइयार रहिबे भिलाई ले तोला संग म लेग जबो। 22 मई के सुबह तक मोर कुछू पक्का नइ रिहिस कि मंँय कामा जाहूँ। बलराम भइया मन संग, शोभा बहिनी मन संग, या बस मा, मगर जाहूँ जरूर।
  सुबह अपन काम-बूता अउ व्यवसाय दूनो ल निपटा के साढ़े आठ बजे मँय तइयार हो गेंव। मीता बहन के फोन आइस, हमन एकाद घंटा म निकलो,तँय मेन रोड मा मिलबे। नौ बजे कस विजेन्द्र भाई के फोन घलो आ गे। उन मन बताइन, बलराम चंद्राकर, गजराज दास महंत, सुमित्रा बहन, विजेन्द्र स्वयं अउ मँय अतका झन के संग मा जाए के संभावना बनत हे। तब मँय विचार करेंव कि शुचि,बस मा जाहूं कहे रिस। मोला पता चलिस सुमित्रा भी संग म जाने वाला रहिस। फेर सुमित्रा बलराम भइया मन संग जात हे त कहूँ मँय भी साथ म जाए बर हाँ कर दुहूँ त शुचि बहन बस म जाए बर अकेल्ला हो जही। काबर कि मँय पहिली पूछे रहेंव, ते पाय के उन मन मोला प्राथमिकता देत हवँय। तब मँय विचार कर के भइया मन ला बोल देंव कि मँय शोभा श्रीवास्तव बहन मन संग आ जाथँव कहिके। ताकि शुचि ओखर मन सँग जा सकै।
  अइसना कर के हमन राजनांदगांव पहुँचेन, त छत्तीसगढ़ी भाषा महतारी के गुरुदेव निगम जी द्वारा रचित वंदना होत रहय। 
    जेखर बाद सब झन अपन-अपन स्थान म बइठेन। तहन शुरू होगे, एक ले एक महारथी रचयिता मन के सरलग आठ पुस्तक के विमोचन।ओखर बाद काव्य पाठ शुरू होइस। छंद के बरसा म तन मन फिलत गिस। दोपहर भोजन के बढ़िया बेवस्था रहिस। आयोजक मन कोनो कमी नइ राखे रहिन।
  भोजन समय सब साधक मन संग मेल-मुलाकात, बात-चर्चा करे के मौका मिलिस। तहाँ ले फेर काव्य पाठ शुरू होइस। मोरो नाम पुकारे गिस, एक छन्न पकैया छंद के रचना के प्रस्तुति महूँ देंव। संचालक मन के संचालन मन ल मोह डारिस, साधक मन के रचना घलो एक सेक रहिस।
  अइसन अनुशासन,अइसन पारिवारिक माहौल, कहूँ करा नइ दिखय। मन मा बहुत अकन मया,आशीष भर के हमन करीब पाँच बजे उहाँ ले वापसी बर निकल गेन। पद्मा साहू अउ शैल वर्मा मन मेजबानी निभावत आत्मिक विदा दिन।
  उहाँ ले निकल के पहिली, माता पाताल भैरवी-बाबा भोलेनाथ के दर्शन करेन, फेर अपन घर लहुटेन। मँय आठ बजे तक अपन घर पहुँच गेंव। उहाँ मिले प्रशस्ति पत्र ल माथ म लगाके सम्हाल के रखेँव। तहाँ रात के भोजन के बेवस्था म जुट गेंव। अभी तक कार्यक्रम के विविधता मा एकरूपता,ओखर माधुर्य,कान म गूँजत हे,आँखी म झूलत हे।

नीलम जायसवाल, भिलाई।

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*छंद चंदैनी बगर गे* 
छंद के छ परिवार के अविस्मरणीय आयोजन- राजनांदगाँव के आदिवासी मंगल भवन मा
दिनाँक 22/05/2022 दिन रविवार के "छन्द के छ" के स्थापना दिवस कार्यक्रम सम्पन्न होइस। कार्यक्रम में प्रदेश  भर के 27 जिला के लगभग दो सौ ले आगर  छन्द साधक, कलमकार मन संघरे रहिन। कार्यक्रम के माई पहुना प्रो.राजन यादव जी, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ रहिन, अध्यक्षता करिन श्री नीलकंठ गढे जी, राष्ट्रीय महासचिव केन्द्रीय गोंड महासभा छ.ग.और खास रहिन डॉ. विनोद कुमार वर्मा वरिष्ठ साहित्यकार , व्याकरणविद् - बिलासपुर, श्री विरेन्द्र बहादुर सिंह जी, श्री कुबेर साहू जी और छन्द के छ के संस्थापक गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी। 
        तीन सत्र मा आयोजित ए कार्यक्रम के पहली सत्र के शुभारंभ छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी के तैलचित्र मा माल्यार्पण अउ पूजा अर्चना, महतारी भाखा के वंदना के संग होइस। छंद परिवार के उद्घोषक श्री अजय अमृतांशु जी के बँधाय, लच्छादार  अकादमिक संचालन मा अतिथि मन  के स्वागत,अभिवादन,अभिनन्दन  छंद परिवार अउ  राजनाँद गाँव के छंद साधक मन पुष्प माला तिलक चंदन ले करिन| सबो पहुना मन के सत्कार के बाद पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम सम्पन्न होइस, जउन मा ओसरी पारी आठ किताब मन  के विमोचन होइस।सात काव्य अउ एक गद्य,  ए मन हवँय -: 
   छन्द चंदैनी - *आशा देशमुख,* जयकारी जनउला अउ फुरफुन्दी - *कन्हैया साहू 'अमित',* छन्द बगीच्चा - *रामकुमार चंद्रवंशी,* बरवै छन्दकोठी अउ गुल की कुण्डलिया - *धनेश्वरी सोनी 'गुल',* बहुरिया( गद्य ) - *चोवाराम वर्मा 'बादल'* अउ आखिर मा विमोचित कृति-
 तैं तो पूरा कस पानी उतर जाबे रे - शोभामोहन श्रीवास्तव। कृति मन के संबंध मा कृतिकार अउ  एक-एक विद्वान वक्ता के द्वारा अपन विचार रखे गइस । कृतिकार मन अपन कृति ले जुड़े एक एक रचनापाठ के संग अपन अपन संक्षिप्त उद्बोधन दिन।      

             कार्यक्रम के दूसर सत्र  सम्मान समारोह के रहिस। 'छन्द के छ' परिवार (आनलाईन गुरुकुल) *छत्तीसगढ़ी भाखा साहित्य के सेवा बर*  छत्तीसगढ़ी भाखा मा छन्दबद्ध संग्रहणीय किताब प्रकाशन खातिर कलमकार मन ला ' *छन्द रतन' सम्मान* प्रदान करिन हे सम्मान समारोह में 'छन्द रतन' जैसे गौरवपूर्ण सम्मान प्राप्त करवइया छन्दसाधक, कलमकार हे- आशा देशमुख जी कोरबा *(छन्द चंदैनी),* कन्हैया साहू 'अमित' जी भाटापारा- ( *जयकारी जनउला* ), मनीराम साहू 'मितान' जी सिमगा - ( *महापरसाद),* बोधनराम निषादराज 'विनायक' जी कबीरधाम( *अमृतध्वनि छन्द),* जगदीश हीरा साहू जी (छन्द संदेश),रामकुमार चंद्रवंशी जी राजनांदगांव ( *छन्द झरोखा, छन्द बगीच्चा),* और धनेश्वरी सोनी 'गुल' जी( *गुल की कुण्डलिया, बरवै छन्दकोठी* )।
             *तीसर सत्र के शुरुवात गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी के परिचयात्मक उद्बोधन अउ  आशीर्वचन ले होइस।* छंद के छ किताब के विमोचन -2016 के दिन ले शुरु होय आंदोलन हर आज हमर पुरा प्रदेश, देश अउ  बिदेश मा घलो बगर गे हे|अउ छंदकार मन के छंद मय प्रस्तुतिकरण ले छत्तीसगढ़ी भाखा, साहित्यहर  हर पोठ होवत दमकन लगे, जगजगावन लगे हे|
 *गुरुदेव निगम जी कहिन,अहंकार भाव के संग सच्चा साधना नइ हो सकय। साधना के मूल्याकंन हमेशा भविष्य करथे । वर्तमान के द्वारा किए जावत व्यवहारिक प्रसंशा, ताली आदि जादातर मृगतृष्णा ही साबित होथे, जेमें पड़े ले साधना मा बाधा ही उत्पन्न होथे ।* साहित्य साधक के रूप मा कालजयी केवल दो पंक्ति ही हर  साधक ला अमर कर देथे । ' *छन्द के छ' आनलाईन गुरुकुल के मूल मंत्र हे सीखबो अउ सिखाबो, छंद ज्ञान पाबो अउ बांँटबो ,बगराबो, महतारी भाखा पोठ  होही। ए तरह  सीखत सिखावत हर छन्द साधक शिष्य हे अउ गुरू घलो आए।* 
इही सत्र मा छंद परिवार के दस
बुधियार अउ वरिष्ठ छंदकार मन के बेहतरीन प्रस्तुतिकरण हर अल्हादित करत, मनत्रमुग्ध कर दिहिन| ए ओरी मा  श्री जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया जी के संचालन मा श्री दिलिप वर्मा बइगा जी भाठा पारा बलौदाबाजार, श्री बलराम चंद्राकर जी भिलाई , श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर जी कवर्धाकबीरधाम, श्री चोवाराम वर्मा "बादल" हथबंद बालौदाबाजार , गुरुदीदी आदरणीया आशा देशमुख जी कोरबा,दीदी बासंती वर्मा जी बिलासपुर,उमाकांत टैगोर जांजगीर चांपा, राम कुमार चौधरी राजनांदगाँव,  दीदी शोभा मोहन श्रीवास्तव दुर्ग मन अपन सुमधुर  प्रस्तुती दिहिन 
       फेर भोजन के बाद मा अजय अमृतांशु जी , श्री जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया जी , श्री ईश्वर साहू 'आरुग',श्री कौशल कुमार साहू, अश्वनी कोसरे 'रहँगिया' और धनेश्वरी सोनी 'गुल' के बारी-बारी शानदार संचालन मा संझौती मुँधियार होवत ले छन्दमय काव्यपाठ के ओरी सरलग चलिस। बीच - बीच मा अतिथि मन के उद्बोधन ले सभासदन हर अनमोल ज्ञान अउ जिनगी बर सीख, बहुमूल्य मोती असन साहित विमर्श ,विचार भाव पावत रहिन।
छत्तीसगढ़ी व्याकरण उपर अपन विमर्श रखत डाॕ विनोद कुमार वर्मा जी मन कहिन छत्तीसगढ़ी भाषा मा लिंग के कउनो समस्या नइ हे | कन्फर्म शब्द ल उदाहरण देवत कइ भाषा मा लिंग संबंधी दोष ला निरुपित करत सार तथ्य मन ला रखिन| 
      **माई पहुना डाॕ राजन यादव जी* 
अपन बात रखत **छत्तीसगढ़िया लोक छंद ,लोक धुन अउ शास्त्रीय छंद के राग ,गति मा साम्यता ल मिलावत कई उदाहरण ले महतारी भाखा के समृद्धि अउ  बिराजे विरासत साहित के बखान करिन| लयबद्धता*  अउ माधुर्य , लालित्य के का महत्व हे साहित अउ छत्तीसगढ़ी गीत मा ए बात ला रेखांकित करत छत्तीसगढ़ के साहित विभूति पुरखा कलम कार मन ला पढ़े के प्रेरणा देवत, दलित जी, डाॕ हरि ठाकुर, विप्र जी, दानेश्वर शर्मा जी
मन के गीत मन के भाव व्यंजना ला दर्शावत कविता मन के सस्वर वाचन करिन|* 
  खास पहुना वरिष्ठ साहित्यकार
श्री कुबेर साहू जी हर अपन उद्बोधन मा छत्तीसगढ़ी गद्य विधा के बात करत निबंध आलेख संस्मरण कहानी आदि के महत्व ल अभिव्यक्त करिन|* 
         अध्यक्षता करत जिला आदिवासी गोड़ सभा के माननीय अध्यक्ष श्री नीलकण्ठ  गढ़े जी हर कवि मन के छंद बद्ध कविता छंद गीत के प्रशंसा करत कहिन अइसन अद्भूत प्रस्तुतिकरण ला सुन के अभिभूत होगँय अउ सदैव अइसन आयोजन बर आदिवासी मंगल भवन ला देहे बर कहिन|
 संस्कारधानी मा आयोजित ए गौरवपूर्ण आयोजन मा कबीरधाम जिला ले श्री ज्ञानुदास मानिकपुरी,श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर,श्री बोधनराम निषादराज, श्री डी.पी.लहरे मौज, अश्वनी कोसरे रहँगिया, देवचरण धुरी, श्री रमेश कुमार चौरिया और कमलेश प्रसाद शरमाबाबू ,मन अपन सहभागिता देहिन अउ रचनापाठ करिन,संगे मा कवर्धा ले रामकुमार साहू जी, घनश्याम कुर्रे अलकरहा जी, हेम साहू मास्टर जी,रिखी राम दूजहा जी मन घलो संघरे रहिन। 
            कार्यक्रम के गरिमापूर्ण  सफल संयोजन ले राज भर मा छंद के चंदैनी हर बगर गय| श्री महेन्द्र कुमार बघेल, ओमप्रकाश 'अंकुर', श्री रामकुमार चंद्रवंशी के संग जिला राजनांदगाँव के छन्द साधक मन के संयोजन ले ए आयोजन हर अपन सबके  मया दुलार पावत सफल होइस।छंद परिवार के वरिष्ठ साधक श्री महेंद्र बघेल जी हर कार्य क्रम के समापन मा  आभार अभिवादन व्यक्त करिन| राजनाँदगाँव के सबो साधक मन ला सफल अउ बड़  सुग्घर आयोजन बर कोटि कोटि हार्दिक बधाई, साधुवाद  |

अश्वनी कोसरे रहँगिया
कवर्धा कबीरधाम
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छंद के छः 

स्थापना दिवस समारोह राजनांदगांव मा 22तारीख 2022 एक नवा इतिहास बनिस ये उदिम ल पूरा करे बर राजनांदगांव ईकाई के बड़ मिहनत अउ सबो के सहयोग ले एकता के दीप जलावत ये समारोह ल जगमगवाइन अउ दूर दूर तक एखर अँजोर ल फैलाइन एखर बर सबो ल बधाई।
सबले पहिली बात  इहाँ परिवारिक महोल मिलथे । 
✍️अपनापन लगथे वोहर अनूठा हे।
✍️एकता अउ मिलके रहे के शिक्षा मिलथे।
✍️अनुशासन म रहे के भाव आथे ।
✍️ *मया* जेहर आजकल अनमोल हे वो मिलथे बाकी जगा सिर्फ अपन मतलब से काम रथे। पर इहाँ सबके दिल से जुडे़ रथें ।
✍️ छंद परिवार मा दिखावा न इ रहय सादगी ,समर्पण गुरुभाव, गुरुबहन, के अनोखा मिशाल हे जेहा मोला अति प्रिय हे।
✍️हिजगा, नीचे गिराना नइ हे ।
सबला साथ लेके चलना अउ सहयोगी बनना ये भाव हे जेहा छंद परिवार ल हटके अलग पहचान देथे।
✍️गुरुदेव श्री निगम जी एकदम सरल हे बैक म अधिकारी अउ बेटा बहू मन डा. रहे मा भी कोई घमंड न इ दिखय सादगी पहनावा दिखावा से दूर जेहर अनुकरणीय हे।
✍️ सबले बढि़या शिक्षा के दान मिलथे ज्ञान के नदिया बहथे वो अनोखा हे।

बात रहिस खाना के मोला दाल बहुत पसंद आइस सुबह के जलेबी साथ पोहा पसंद आइस ,अउ शाम के *पना आम* के बहुत पसंद आइस । मोर पुस्तक विमोचन मा मोला बहुत बढि़या अनुभव होइस अति खुशी के भाव मिलिस  *रतन *सम्मान* बर धन्यवाद । *मोला संचालन के मौका मिलिस ओ बहुत सुघर लगिस* ब्यबव्स्था शानदार रहिस मंच से लेकर पना तक। एक नवा अनुभव खुशी के मिलिस ।

साधिका
*धनेश्वरी सोनी गुल*
छंद सत्र 11
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दिनाँक 22/05/2022 दिन रविवार को "छन्द के छ" का स्थापना दिवस कार्यक्रम हुआ सम्पन्न। कार्यक्रम में प्रदेश के 27 जिलों के लगभग दो सौ से अधिक छन्द साधक कलमकारों ने सिरकत की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे प्रो.राजन यादव जी, इंदिरा गांधी संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़, अध्यक्षता किये श्री नीलकंठ गढे जी, राष्ट्रीय महासचिव केन्द्रीय गोंड महासभा छ.ग.और विशिष्ट अतिथि रहे डॉ. विनोद कुमार वर्मा वरिष्ठ साहित्यकार व व्याकरणविद् - बिलासपुर, श्री विरेन्द्र बहादुर सिंह जी, श्री साहू जी और छन्द के छ के संस्थापक गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी। तीन सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र का शुभारंभ छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी के तैलचित्र में माल्यार्पण और पूजा अर्चना के साथ हुआ। अतिथियों के स्वागत अभिवादन अभिनन्दन के पश्चात पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, जिसमें क्रमशः आठ किताबों का विमोचन किया गया। छन्द चंदैनी - आशा देशमुख, जयकारी जनउला और फुरफुन्दी - कन्हैया साहू 'अमित', छन्द बगीच्चा - रामकुमार चंद्रवंशी, बरवै छन्दकोठी और गुल की कुण्डलिया - धनेश्वरी सोनी 'गुल', बहुरिया - चोवाराम वर्मा 'बादल' और तैं तो पूरा कस पानी उतर जाबे रे - शोभामोहन श्रीवास्तव। कृति के संबंध में प्रत्येक कृति पर एक विद्वान वक्ता के द्वारा अपना विचार दिया गया। कृतिकारों ने भी एक एक रचनापाठ के साथ अपना अपना संक्षिप्त उद्बोधन दिया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र को सम्मान समारोह कहा जाना चाहिए। 'छन्द के छ' परिवार (आनलाईन गुरुकुल) छत्तीसगढ़ी भाखा साहित्य की सेवा के लिए छत्तीसगढ़ी भाखा में छन्दबद्ध संग्रहणीय किताब प्रकाशन के लिए कलमकारों को 'छन्द रतन' सम्मान प्रदान करता है। सम्मान समारोह में 'छन्द रतन' जैसे गौरवपूर्ण सम्मान प्राप्त करने वाले छन्दसाधक कलमकार रहे- आशा देशमुख जी कोरबा (छन्द चंदैनी), कन्हैया साहू 'अमित' जी भाटापारा- (जयकारी जनउला), मनीराम साहू 'मितान' जी सिमगा - (महापरसाद), बोधनराम निषादराज 'विनायक' जी कबीरधाम(अमृतध्वनि छन्द), जगदीश हीरा साहू जी (छन्द संदेश),रामकुमार चंद्रवंशी जी राजनांदगांव ( छन्द झरोखा, छन्द बगीच्चा), और धनेश्वरी सोनी 'गुल' जी( गुल की कुण्डलिया, बरवै छन्दकोठी)। तीसरे सत्र की शुरुवात गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी के परिचयात्मक उद्बोधन से हुई। उन्होंने कहा,अहंकार भाव के साथ सच्ची साधना नहीं हो सकती है। साधना का मूल्याकंन हमेशा भविष्य करता है। वर्तमान के द्वारा की जा रही व्यवहारिक प्रसंशा ताली आदि जादातर मृगतृष्णा ही शाबित होती है, जिसमें पड़ने से साधना में बाधा ही उत्पन्न होती है। साहित्य साधक के रूप में कालजयी केवल दो पंक्तियां ही साधक को अमर कर देती हैं। 'छन्द के छ' आनलाईन गुरुकुल का मूल मंत्र है सीखना और सिखाना, पाना और बांँटना। इस तरह हर छन्द साधक शिष्य है और गुरू भी। भोजनोपरान्त अजय अमृतांशु, जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, ईश्वर साहू 'आरुग', कौशल कुमार साहू, अश्वनी कोसरे 'रहँगिया' और धनेश्वरी सोनी 'गुल' के बारी-बारी शानदार संचालन में देर शाम तक छन्दमय काव्यपाठ का क्रम अनवरत चला। बीच बीच में अतिथियों के उद्बोधन से कुछ बहुमूल्य मोती सभासद् संग्रहित करते रहे। संस्कारधानी में आयोजित इस गौरवपूर्ण आयोजन में कबीरधाम जिला से ज्ञानुदास मानिकपुरी, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, बोधनराम निषादराज, डी.पी.लहरे मौज, अश्वनी कोसरे, देवचरण धुरी, रमेश कुमार चौरिया और कमलेश प्रसाद शरमाबाबू ने अपनी सहभागिता दी और रचनापाठ किया। कार्यक्रम का सफल संयोजन महेन्द्र कुमार बघेल, ओमप्रकाश 'अंकुर', रामकुमार चंद्रवंशी के साथ जिला राजनांदगांव के छन्द साधकों ने किया। इस हेतु कोटि कोटि हार्दिक बधाईयाँ 💐💐💐🎊🎊🎊🎊🎊🙏
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*///////समीक्षा//////*

*स्थल चयन -*  लोकेशन बहुत बढ़िया, हाइवे मा, ढूंढे मा कोनो तकलीफ नइ होइस।

*भवन चयन-* शानदार चारों डहर खिड़की हवादार

*साउण्ड सिस्टम* - बेहतरीन,इही पूरा कार्यक्रम के जान होथे। हाल मा आवाज क्लियर रहिस। 

*अतिथि चयन-* सटीक,
छन्द परिवार के साधक मन के अनुकूल ।

*चाय नास्ता, भोजन* - स्वादिष्ट अउ बेरा म मिलगे।

*टीम वर्क-* जबरदस्त ,छंद परिवार राजनाँदगाँव इकाई के सबो साधक मन अपन-अपन जिम्मेदारी मा खरा उतरीन। 

*विशेष-* नेपथ्य से श्री ज्ञानु मानिकपुरी जी के मेहनत।

*निष्कर्ष*  -6 वाँ स्थापना दिवस अविस्मरणीय ।

*उपसंहार -* 
संयोजक द्वय- श्री महेंद्र बघेल मधु जी, श्री ओमप्रकाश साहू अंकुर जी, सहित छंद परिवार राजनाँदगाँव इकाई के सबो साधक मन ला यादगार आयोजन खातिर हार्दिक बधाई। 

*कमी*- खोजत हँव मिलत नइ हे 😊 
अजय अमृतांशु
🙏
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आभार पाती

संस्कारधानी राजनाँदगाँव म 22 मई 2022, इतवार के दिन आयोजित *छन्द के छ* के स्थापना दिवस समारोह कई दृष्टिकोण ले अविस्मरणीय रहिस।
ये समारोह कोनो भी राष्ट्रीय संगोष्ठी ले कम नि रहिस। अनेक प्रतिभाशाली कवि मन के सस्वर कविता पाठ हृदयतल के गहराई म पैठ गे। सात छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह अउ चोवाराम बादल के कहानी संग्रह *बहुरिया* के विमोचन छत्तीसगढ़ी साहित्य के कोठी ल पोठ्ठ करत हमर भाषा के आठवीं अनुसूची म शामिल होय के रद्दा ला आघू बढ़ावत हे। ये आयोजन के मुख्य कर्ता-धर्ता अरुण कुमार निगम जी, संस्थापक ' छन्द के छ ' के जतेक तारीफ किया जाय- ओहा कमेच परही! कोटिशः बधाई -निगम जी ला। कार्यक्रम के संयोजक महेन्द्र बघेल अउ ओमप्रकाश साहू सहित संस्कारधानी राजनाँदगाँव अंचल के *छन्द के छ* परिवार के सबो सदस्य मन के सहयोग ले एक राष्ट्रीय स्तर के सफल आयोजन वह भी बिना कोई शासकीय सहायता के सुखद आश्चर्य के बात हे। मैं तो हिन्दी अउ कृषि से संबंधित अनेक राष्ट्रीय अउ अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी म लगातार शामिल होत रहेंव, फेर ओमन अइसन गरिमामय, अनुशासित अउ व्यवस्थित नि रहिन। कोनो-न-कोनो मेर ओमा कमी जरूर महसूस होइस। 
    एक दू झन मोला कहिन कि आयोजन म कमी कइसे नि होही?- कुछु-न-कुछु तो फरक परबे करिस होही। फेर मैं बहुत सोचें त मोर नजर म एक ठिन कमी दिख गे- खाना ला तो पोठ्ठ खाय रहेन, त आलस अउ नींद आत रहिस। ओही बेरा म आम के शरबत दे दिन- नींद हा अउ बाढ़ गे! मने-मन गुनत रहेंव कि चाय मिल जातिस त नींद ह भाग जातिस! - स्टेज के उपर म बइठ के सुत देतेंव त गजब दुर्घटना हो जातिस! बाहिर कोती निकलेंव अउ एक बोतल पानी के छींटा मुँह म मारेंव!! नींद भगा गे! फेर कुछ कवि मन के गीत अउ राजन यादव जी के उद्बोधन ला सुनेंव त अइसे लगे-लगिस मानो वसन्त ऋतु के ठंडी ठंडी हवा बहे लगिस हे।.......मन म सुकुन लेके राजनाँदगाँव ले लौटत सोंचत रहेंव कि एकरे खातिर राजनाँदगाँव ला संस्कारधानी कहिथें कि इहाँ के आयोजन हा सदा-दिन बर हृदयतल के गहराई म हमा गे/हमा जाथे। 🙏🌹

            - विनोद कुमार वर्मा
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: *आभार-पाती*

🌹 *छन्द के छ परिवार बनाम संयुक्त परिवार*🌹

संयुक्त परिवार टूटिस, एकल परिवार बनत गिस। ऊपरे ऊपर मा एकल परिवार मा सब्बो खुशी के मुखौटा लगाके जीयत हें फेर अन्तस मा छटपटावत हें। ये छटपटाहट दीखय नइ, देखाये अउ बताये घलो नइ जा सके, बस भीतरे भीतर कुलबुलावत हे। बर-बिहाव या सामाजिक समारोह मा जब कका, काकी, ममा, मामी, फूफा, फूफू, बड़े-छोटे भाई-बहिनी अउ दूर-दराज के नाता-रिश्ता सँग भेंट-भलाई होथे तब छटपटावत अउ कुलबुलावत अन्तस हर जुड़ा जाथे। मनखे ला मनखे सँग जुड़ाव चाही। मनखे हर मनखे आय, मशीन नोहय। भले मशीन असन जिनगी जीये बर मजबूर हे फेर अन्तस ले वो मशीन नइ बन सके। मनखे के संवेदना दबे रहिथे फेर मर नइ सके।

22 मई 22 के राजनाँदगाँव मा छन्द के छ परिवार के सदस्य मन के आपसी भेंट "संयुक्त परिवार" वाले सुख के अनुभूति कराइस। बिना कोनो स्वार्थ के एक-दूसर ऊपर मया के मानसून हरेक के अन्तस ला तृप्त कर दिस। जशपुर, पाली, कोरबा, बिलासपुर, जांजगीर, राजिम जइसे दूर-दराज ले सदस्य मन अपन तन-मन-धन के खर्चा करके आइन। महिला सदस्य मन तको उछाँह लेके शामिल होइन। 

राजनाँदगाँव अंचल के संयोजक टीम के हर सदस्य दू-तीन हफ्ता पहिली ले सक्रिय रहिस। ठउर तय करना, मंच,साउंड सिस्टम, बइठे के व्यवस्था, नाश्ता-पानी अउ भोजन के व्यवस्था, फूल-पान, दीया-बाती, शाल-नरियर के व्यवस्था, दूर दराज ले आये सदस्य मन के रुके-ठहरे के
व्यवस्था, जानो-मानो घर मा बिहाव होवत हे, तन-मन-धन ले करिन। संयोजक होए के नाता व्यवस्था मा अइसे भिड़े रहिन कि खुद के प्रस्तुति तको नइ दे पाइन। इही ला कहिथें दूसर के सुख बर अपन सुख के त्याग।

जीतेन्द्र वर्मा खैरझिटिया जी, अजय अमृतांशु जी मन लगातार ऑडियो कांफ्रेंसिंग मा जुड़के आयोजन ला सफल करे बर भिड़े रहिन। कवर्धा ले ज्ञानुदास मानिकपुरी जी, नौकरी के व्यस्तता के बावजूद बैनर, पोस्टर,नेवता-पाती, सम्मान-पत्र, प्रशस्ति पत्र,मोमेंटो ला अपन देखरेख मा न केवल बनवाइन, बल्कि दू दिन पहिली ले राजनाँदगाँव के संयोजन टीम तीर भिजवाइन।

विमोचन, सम्मान, कविसम्मेलन तो बहाना होगे; एक-दूसर सँग भेंट करे के सुख सर्वोपरि होगे। आरुग-मया के अइसे वातावरण साहित्यिक तो साहित्यिक कई पइत सामाजिक समारोह मा तक नइ मिले। *मँय-भाव* गँवागे, *हम-भाव* बगरे रहिस। ये सदी मा गुरु-शिष्य के अइसन निश्छल मिलन अउ कहाँ मिलही ? सबके आँखी अउ चेहरा ले श्रद्धा अउ स्नेह के भाव झर-झर करके झरत रहिस।

कटु सत्य आय कि वर्तमान समय मा राजनीति असन साहित्यिक-तलैया घलो दलदल बनत हवय। अइसन प्रदूषित वातावरण मा "छन्द के छ", मानसरोवर असन निरमल अउ पबरित झील बनगे हवय जेमा केवल हंसा-मन डुबकी लगावत हें। ज्ञान अउ मया के मोती चुगत हें। 

आयोजन के संबंध मा अजय अमृतांशु जी बिन्दुवार लिखिन हें। उनकर लिखे हर बिन्दु ला मोर सहमति हे। मँय बस अपन अन्तस के भाव ला लिखे हँव। समारोह के संयोजक दल अउ उपस्थित होवइया हर साधक के अन्तस ले आभार प्रकट करत हँव।
 
*अरुण कुमार निगम
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: *छन्द के छ : छठवाँ स्थापना दिवस*

                - वसन्ती वर्मा

  *छन्द के छ* के छठवाँ स्थापना दिवस समारोह 22 मई 2022, दिन इतवार के संस्काधानी राजनांदगाँव म सम्पन्न होइस; जेमा शामिल होय के अवसर मोला मिलिस।
    सबले पहिली मैं आयोजन समिति ला बहुत अकन बधाई देवत हौं, जेमन तन-मन-धन लगा के अतेक बड़े अउ सुग्घर आयोजन करिन। आयोजन-स्थल म पहुँचेन त ओही बेरा गुरुदेव अरुण निगम जी के दर्शन होइस- अउ आशीर्वाद घलो मिलिस, ठीक आदिवासी भवन के गेट के आघू। गेट ले भीतर सभाभवन म पहुँचेन त राजनांदगाँव के छन्द साधक भाई-बहिनी मन जोहार-पैलगी करत कुमकुम के टीका लगाइन त मन ह गदगद्  हो गे। अइसन मया-दुलार तो परिवार म ही मिलथे। मोर हिसाब ले *छन्द के छ* जइसन बड़का साहित्यिक संयुक्त परिवार छत्तीसगढ़ में कोनो मेर नि होही।
   छन्द साधक मन के एक ले आगर एक गीत सुने ला मिलिस। कई झन नवा-नवा साधक मन के गीत बहुतेच मीठ-मीठ रहिस जेला पहिली बेर सुनेंव। नास्ता, खाना आदि व्यवस्था म कोनो कमी नि रहिस। अतेक बड़े कार्यक्रम बर राजनांदगाँव के सबो छन्द साधक भाई-बहिनी मन ला मोर डहर ले गाड़ा-गाड़ा बधाई। संस्कारधानी नाॅव के अनुरूप ही समारोह के आयोजन घलो रहिस। छंदगुरु अरुण निगम जी ला सादर पायलागी।
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             - वसन्ती वर्मा, बिलासपुर
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*छन्द के छ : छठवाँ स्थापना दिवस*

              मीता अग्रवाल

  *छन्द के छ* के छठवाँ स्थापना दिवस समारोह 22 मई 2022, दिन रविवार के संस्कारधानी राजनांदगाँव म सम्पन्न होइस; जेमा शामिल होय के अवसर मोला मिलिस।
    सबले पहिली मैं आयोजन समिति ल बधाई देहू जिखर  आत्मीय  स्वागत ले मन गदगद हो गे । तन-मन-धन लगा के अतेक बड़े अउ सुग्घर आयोजन करना, सबके धयान रखना अपन आप म यज्ञ ले कमती नइ हे । आयोजन-स्थल म पहुँचेन त अपन परिवार  ले मिले के खुशी मिलिस। छन्द के छ जइसन बड़का साहित्यिक संयुक्त परिवार छत्तीसगढ़ में  मिसाल होही।
   छन्द साधक मन के मनमोहक प्रस्तुति, कुशल संचालन,नास्ता, जेवन आदि व्यवस्था म कोनो कमी नइ रहिस। अतेक बड़े यादगार कार्यक्रम बर राजनांदगाँव के सबो छन्द साधक भाई-बहिनी मन ला मोर डहर ले अंतस ले गाड़ा-गाड़ा बधाई। छंदगुरु अरुण निगम जी ला सादर साधुवाद।जेन हर परिवार ल बांँधके राखे हवे, आठ किताब के विमोचन ये बात के प्रमाण आय की छत्तीसगढ़ी साहित्य छंद रस ले समृद्ध हो हि । ऐतिहासिक आयोजन बर छंद परिवार ल बधाई। 
               
मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छग ०

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बलराम चन्द्राकर जी:

 राजनांदगांव मा छंद के छ स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजन उपर अनमोल गोठ गुरुदेव।
छंद के छ परिवार अउ गुरुकुल के साथ - साथ संस्था अउ मिशनरी असन रूप लेवत हे, जेकर हर साधक छत्तीसगढ़ी साहित्य ला छंदमय, काव्यमय अउ अब तो गद्य उपर कलम चला के सर्वांगीण विकास बर उद्यत हे। आप के रोपे बीज देखते देखत पेड़ होगे जेकर छइहा मा छत्तीसगढ़ महतारी के भाषाई सेवक मन, तन मन धन लगा के नवा इतिहास लिखत हें। नोनी - बाबू दोनों वर्ग सहभागी बन के छत्तीसगढ़ी ला समृद्ध करत हें।
अइसे दिखत हे कि वर्तमान पीढ़ी के हमर ये साधक मन  धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ी साहित्य के विकास के बाना ला स्वयंमेव उठावत जावत हे।कोनों आश्चर्य नइ होही जब बहुत ही जल्दी छत्तीसगढ़ी मा सिरिफ छंद के छ परिवार के बोलबाला होही, अपन कर्म अउ समर्पण के ताकत मा। एमा कोनों ब्यर्थ के बढ़ाई नइ हे, बल्कि पूर्णतः सच्चाई हे।
गुरुदेव! आप ला सादर प्रणाम।
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