कबीरधाम की यादें
“छन्द के छ - स्थापना दिवस तृतीय वर्षगाँठ”
कबीरधाम में सानन्द सम्पन्न, विशेष रिपोर्ट भाग - 2
“छन्द के छ” आंदोलन का शुभारंभ अक्षय तृतीया दिनांक 09 मई 2015 को हुआ। अतः इसकी वर्षगाँठ, इसी तिथि या दिनांक के निकटतम किसी रविवार को मनाई जाती है। इस वर्ष स्थापना दिवस की वर्षगाँठ 12 मई 2019 को कबीरधाम में मनाई गई। कवर्धा और आसपास क्षेत्र के साधकों ने इस आयोजन का बीड़ा उठाया।
कबीरधाम में यह आयोजन इस दृष्टि से भी विशेष हो जाता है कि अपने जीवन काल में कबीर दास जी का यहाँ आगमन हुआ था। कबीर दास जी की रचनाएँ विभिन्न छंदों में हैं। उनके शिष्य धरमदास जी, जो छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रथम कवि माने जाते हैं,के वंशज की गद्दी-स्थापना के कारण ही कवर्धा का नामकरण कबीरधाम हुआ।
समारोह के मुख्य अतिथि आदरणीय श्री दिलराज प्रभाकर (आई.एफ.एस. वनमंडलाधिकारी कबीरधाम) थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में बिलासपुर से श्री विनोद कुमार वर्मा (वरिष्ठ साहित्यकार) तथा नवागढ़, बेमेतरा से श्री रमेश कुमार सिंह चौहान (छन्दकार) पधारे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कबीरधाम के वरिष्ठ साहित्यकार श्री समय लाल “विवेक” ने की।
आयोजन के प्रारंभ में अतिथियों ने छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी के चित्र का लोकार्पण करते हुए दीप प्रज्ज्वलित कर चित्र पर माल्यार्पण किया । इस दौरान सुखदेव सिंह अहिलेश्वर ने स्वरचित वंदना का सस्वर गायन करके सबको भाव विभोर कर दिया । इनके पश्चात बलराम चन्द्राकर ने अरुण कुमार निगम द्वारा रचित आरती-गीत को अपने मधुर कंठ से गाकर सभी को मुग्ध कर दिया।
मंच संचालन का जिम्मा भाटापारा से आये छन्दकार अजय “अमृतांशु” ने सम्हाला था। कबीरधाम जिले के छन्दकार सर्वश्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, ज्ञानुदास मानिकपुरी, द्वारिका प्रसाद लहरे, अश्वनी कोसरे, रामकुमार साहू (सभी कवर्धा) बोधनराम निषादराज(सहसपुर लोहारा) महेंद्र देवांगन "माटी" (पंडरिया) मीनेश साहू (गंडई) एवं ईश्वरलाल साहू "आरुग" (बेमेतरा) इस भव्य आयोजन के आयोजनकर्ता थे।
छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी के तैल चित्र का अनावरण,पुस्तक विमोचन,सम्मान समारोह आयोजित
राज्यस्तरीय छंदमय कवि सम्मेलन में 60 कवियों ने किया सस्वर कविता पाठ
छंद के छ परिवार कवर्धा इकाई के छंदकारों सुखदेव सिंह अहिलेश्वर,ज्ञानू दास मानिकपुरी,महेंद्र देवाँगन माटी,बोधनराम निषाद,मिनेश साहू,रामकुमार साहू द्वारिका प्रसाद लहरे,अश्वनि कोसरे के संयोजकत्व मे छत्तीसगढ़ी भाषा की समृद्धी के उद्देश्य से छंद के छ के तृतीय स्थापना दिवस के अवसर पर वन विद्यालय काष्ठागार परिसर जिला चिकित्सालय के सामने कवर्धा में 12 मई को दोपहर 1:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक पुस्तक विमोचन,सम्मान समारोह एवं छत्तीसगढ़ी छंदमय कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया।इसमें छंद के छ के संस्थापक श्री अरुण कुमार निगम के नेतृत्व में प्रदेश के 22 जिले से पधारे 4 दर्जन से अधिक छंद साधक रचनाकारों ने हिस्सा लिया। इसी दरम्यान श्री चोवाराम वर्मा'बादल'हथबंद द्वारा रचित काव्य कृति जुड़वा बेटी, मनीराम साहू'मितान'सिमगा द्वारा रचित हीरा सोनाखान के,जगदीश हीरा साहू कडा़र भाटापारा की कृति संपूर्ण रामायण'मनका' एवं महेंद्र देवांगन माटी पंडरिया की गद्य कृति तीज तिहार एवं परंपरा का विमोचन किया गया।डॉ विनोद कुमार वर्मा, अरुण कुमार निगम,चोवा राम वर्मा'बादल'रमेश कुमार सिंह चौहान द्वारा विमोचित कृतियों की अलग-अलग सारगर्भित समीक्षा की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ छंद के छ के संस्थापक श्री अरुण कुमार निगम की परिकल्पना के अनुरूप ईश्वर साहू'बंधी' की कलाकृति'छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी'के तैल चित्र का अनावरण माई पहुना मुख्य अतिथि श्री दिलराज प्रभाकर आई एफ एस वन मंडल अधिकारी कवर्धा कबीरधाम,अध्यक्ष श्री समय लाल'विवेक'साहित्कार पिपरिया कवर्धा खास पहुना डॉ विनोद कुमार वर्मा बिलासपुर,श्री अजय चंद्रवंशी साहित्यकार कवर्धा,श्री अरुण कुमार निगम दुर्ग द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इसके उपरांत छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी की वंदना-'आये हन तोर दुवारी ओ,छत्तीसगढ़ी महतारी।दे ज्ञान शबद दुइ चारी ओ,छत्तीसगढ़ी महतारी'। रचनाकार-सुखदेव सिंह अखिलेश्वर कबीरधाम तथा छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी,पइयाँ लागँव तोर।श्री अरुण कुमार निगम की रचना की सस्वर प्रस्तुति बलराम चंद्राकर भिलाई ने दी। कार्यक्रम के अंतिम सत्र में आयोजित कवि सम्मेलन में जितेन्द्र वर्मा कोरबा सरसी छंद, आशा आजाद कोरबा सवैया,महेंद्र देवांगन माटी कबीरधाम सरसी,जगदीश हीरा साहू भाटापारा आल्हा छंद,बोधन राम निषाद कवर्धा हरिगीतिका, उमाकांत टैगोर जांजगीर जयकारी छंद,डी पी लहरे कबीरधाम लावणी छंद गीत,चोवाराम बादल बलौदा बाजार घनाक्षरी,मिनेश साहू रायपुर सार छंदगीत, बलराम चंद्राकर भिलाई आल्हा छंद,राजकिशोर धिरही जांजगीर दोहा,सुखदेव सिंह अहिलेश्वर कबीरधाम सवैया लावणी, केंवरा यदु राजीम,बालक दास निर्मोही बिलासपुर घनाक्षरी,मनीराम साहू मितान सिमगा दोहा चौपाई,राजेश कुमार निषाद रायपुर चौपाई,सुरेश पैगवार जी रोला छंद,बसंती वर्मा बिलासपुर अमृतध्वनि,नीलम जायसवाल भिलाई सवैया,स्नेह लता सरगुजा छंद गीत,अजय अमृतांशु भाटापारा दोहा,कौशल साहू बलौदाबाजार कुंडलिया,इंजीनियर गजानंद पात्रे बिलासपुर आल्हा छंद,डॉ. तुलेश्वरी धुरंधर बलोदा बाजार दोहा संतोष परिकार भाटापारा,सूचि भवी भिलाई दोहा पुरुषोत्तम ठेठवार रायगढ़ छंद गीत,रामकुमार साहू कबीरधाम कुंडलिया,मोहनलाल वर्मा तिल्दा गीतिका, गीता विश्वकर्मा कोरबा दोहा,रामकली कारे कोरबा दोहा,जितेंद्र कुमार निषाद सांगली बालोद दोहा,अशोक धीवर तिल्दा नेवरा छन्न पकैया, वीरेंद्र कुमार साहू गरियाबंद उल्लाला,ईश्वर लाल साहू साजा गीतिका छंद,मोहन कुमार निषाद भाटापारा आल्हा छंद के साथ ही स्थानीय रचनाकारों देव चरण ध्रुव,जाजू सतनामी ,तुकाराम साहू,महेश मलंग,रमेश चौरिया ,धर्मेंद्र डहरवाल,घनश्याम कुर्रे,अमित कुमार, गजेंद्र लहरे और अन्य कवियों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ कर श्रोताओं से खूब तालियां बटोरी।
उल्लेखनीय है कि आयोजकों द्वारा सभी प्रतिभागियों को सम्मानित करते हुए उन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया वहीं प्रकाशित/विमोचित छंदबद्ध कृतियों के लिए चोवाराम वर्मा बादल,रमेश कुमार चौहान,मनीराम साहू मितान,को छत्तीसगढ़ी छंद रतन सम्मान से सम्मानित किया गया।नवोदित छंदकारों को प्रेरित/प्रोत्साहित करने के लिए डॉक्टर विनोद कुमार वर्मा को छत्तीसगढ़ी छंद प्रेरणा सम्मान से सम्मानित किया गया और जगदीश हीरा साहू को नवोदित छत्तीसगढ़ी छंदकार सम्मान दिया गया।
कार्यक्रम मे स्वागत भाषण ज्ञानूदास मानिकपुरी ने दिया अजय अमृताँशु भाटापारा,बलराम चंद्राकर भिलाई, जितेंद्र वर्मा कोरबा,ईश्वर लाल साहू आरुग साजा ने कार्यक्रम का संचालन किया वहीं आभार प्रदर्शन अश्वनि कोसरे कबीरधाम ने किया।
12 मई 2019 को कबीरधाम में "छन्द के छ" - स्थापना दिवस की वर्षगाँठ पर छत्तीसगढ़ी भाषा महतारी -चित्र लोकार्पण, किताब विमोचन, सम्मान समारोह तथा राज्य स्तरीय छत्तीसगढ़ी छंदमय कविसम्मेलन की रिपोर्ट विभिन्न समाचार पत्रों में ....
समस्त समाचार पत्रों के संवाददाताओं का आभार।
एमा सामिल नइ हो पाय रहेंव। आज ले अखरथे।
ReplyDeleteसुरता ताज़ा होगे गुरूदेव
ReplyDeleteबहुते सुघ्घर लगे रहिस छंद गुरू छंद साधक मन के मजमा
आँखी म झूले लगगे दृश्यमन
ReplyDeleteआँखी म झूले लगगे दृश्यमन
ReplyDeleteसही बात गुरुदेव जी सुरता ले हृदर भीतरी उमंग भरगेसबो गुरुदेव संग मोर पहली बार भेंट होइस सब के शुभासीस मिलिस|
ReplyDeleteअविस्मरणीय कार्यक्रम हमर छंद परिवार के
रहे नदारत'कांत'तैं, रहिगे जी पछतात।
ReplyDeleteविशेषता परिवार के, आनंदित जुरियात।।
आय ए गुरु प्रताप जी..
धन्य हन हम अउ आप जी..
मधुर यादें 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर सोनहा सुरता के स्मरणीय पल
ReplyDeleteछत्तीसगढ़ी भाखा ला पोठ करे के बड़ उदीम
ReplyDeleteछंद परिवार के एतिहासिक वार्षिक सुग्घर सफल आयोजन के सुनहरी सुरता
ReplyDeleteअइसन पोस्ट तैयार करना जितेन्द्र जी के समर्पण भाव के प्रत्यक्ष प्रमाण आय।
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